Friday, October 18, 2024
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40 साल पुरानी मांग हुई मंजूर, सरकार ने बदला गांव का नाम, खुशी में झूमे गांववासी

मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के गोवर्धन तहसील के निकट स्थित महाकवि सूरदास की कर्मस्थली परासौली गांव का नाम अब राजस्व रिकॉर्ड में भी महमदपुर या महमूदपुर के स्थान पर ‘परासौली’ ही माना जाएगा। इस संबंध में सूरदास ब्रज रासस्थली विकास समिति परासौली मथुरा पिछले चार दशक से इस परिवर्तन की मांग करती चली आ रही थी।

इस संबंध में सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर दिए जाने की जानकारी मिलने पर बीते दिन गांव वासी झूम उठे। गांव में मिठाई बांटी गई व खुशियां मनाई गईं। क्योंकि, वे सभी सूरदास ब्रज रासस्थली विकास समिति परासौली मथुरा के सचिव हरिबाबू कौशिक की अगुआई में पिछले 40 साल से अनूठे प्रेम के साक्षी राधा और कृष्ण की रासस्थली का नामकरण उसके मौलिक नाम पर कर दिए जाने से अत्यंत खुशी का अनुभव कर रहे थे। आखिर, चार दशक से लंबित उनकी मांग मान ली गई थी।

इस संबंध में उत्तर प्रदेश शासन के राजस्व विभाग द्वारा बीते 24 मार्च को जारी की गई अधिसूचना की प्रतिलिपि के माध्यम से कौशिक ने बताया, वे वर्ष 1982 से परासौली गांव का नामकरण पुन: महमूदपुर से परासौली कराने के लिए राज्य के सभी मुख्यमंत्रियों से मांग करते चले आ रहे थे।

कई मुख्यमंत्रियों ने आश्वासन तो दिया किंतु वे अपना वादा पूरा न कर सके। लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2018 में मांग किए जाने पर कार्यवाही शुरु कर दी और भारत सरकार के भी सभी संबंधित विभागों से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर विगत 24 मार्च को राज्यपाल की ओर से अधिसूचना भी जारी करा दी गई।

राजस्व परिषद की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार के हवाले से जारी अधिसूचना के अनुसार जिला मजिस्ट्रेट मथुरा के 12 फरवरी 2019 के प्रस्ताव पर राहत आयुक्त एवं सचिव ने 15 सितम्बर 2020 को संस्तुति पर भूमि प्रबंधक समिति ने उक्त राजस्व ग्राम का पुनर्नामकरण किए जाने का प्रस्ताव पारित किया है। जिस पर भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने भी 11 फरवरी को नाम परिवर्तन पर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया।

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जिसके मुताबिक अब नाम परिवर्तन का गजट होेने के पश्चात अधिसूचना की किसी बात का प्रभाव, किसी न्यायालय, जो राजस्व ग्राम के संबंध में अब तक अधिकारिता का प्रयोग करता रहा है, में पहले ही प्रारंभ की गई थी या लंबित किसी भी विधिक कार्यवाही पर भी नहीं पड़ेगा। राजस्व विभाग द्वारा इसकी एक प्रति सूरदास ब्रज रासस्थली विकास समिति परासौली मथुरा के सचिव हरीबाबू कौशिक को भी भेजी गई है।

उन्होंने बताया, असल में इस गांव का नाम ऋषि पाराशर की जन्मस्थली होने के कारण ‘परासौली’ पड़ा था। दूसरे, वल्लभाचार्य जी के अनुसार भगवान कृष्ण एवं राधारानी ने यहां चंद्र सरोवर के निकट ब्रह्मा जी के एक क्षण यानि छह मास तक रास किया था। जिससे इस स्थली का महत्व बढ़ गया।

इसके बाद इस युग में भी महाकवि सूरदास की कर्मस्थली के रूप में विख्यात होने के बाद यह गांव साहित्य एवं संस्कृति की दृष्टि से और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया। लेकिन, अफसोस यह है कि यह गांव व यह स्थल इतना महत्वपूर्ण होने के बाद भी सरकारी तौर पर उपेक्षित ही रहा है। जबकि, महाकवि की सभी प्रमुख रचनाओं ने यहीं आकार पाया।

इस गांव का दुर्भाग्य यह रहा कि मुगल काल में जब एक बाद इसका नाम बदलकर महमूदपुर कर दिया गया तो आज़ादी के सात दशक निकल जाने के बाद भी हमारे तत्कालीन शासकों का ध्यान इस ओर नहीं गया। सूर स्मारक समिति के माध्यम से हम लोग 40 साल से नाम परिवर्तन की मांग करते आ रहे थे। जो अब ब्रजतीर्थ विकास समिति के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र की मदद से मुख्यमंत्री एवं समिति के अध्यक्ष योगी आदित्यनाथ के माध्यम से संभव हो सका है। यही खबर जब कल गांव वासियों को दी गई तो वे सभी झूम उठे। नाचने लगे, गाने लगे – नाचन हारी के दो-दो हूजें, इक योगी, इक मोदी। पूरी ऊपर बूरौ दूंगी, आलू की तरकारी।

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