नई दिल्ली। कर्मचारियों के लिए पीएफ फंड का पैसा काफी अहम होता है। रिटायर होने के बाद नौकरीपेशा करने वालों को आगे का जीवन चलाने के लिए एक अच्छी खासी रकम मिलती है। लेकिन कई दफा कुछ लोग गलतियां कर देते हैं। जिस कारण उनका पीएफ खाता बंद हो जाता है। ऐसा में ये जानना जरूरी है कि ऐसी गलती नहीं हो। ईपीए अकाउंट बंद होने के कई कारण हैं। ऐसे में आज हम आपको पूरी जानकारी दे रहे हैं। जिससे आप ध्यान से पढ़ें।
अगर कर्मचारी जिस कंपनी में पहले कार्य करते थे। उस संस्थान से अपना पीएफ खाता नई कंपनी में ट्रांसफर नहीं करवाया और पुरानी कंपनी बंद हो गई। ऐसे में ईपीएफ अकाउंट से 36 महीने तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ तो खाता बंद हो जाएगा। ईपीएफओ ऐसे अकाउंट को इनऑपरेटिव कैटेगरी में डाल दिया जाता है।
अगर अकाउंट इनऑपरेटिव हो जाएं तो ट्रांजेक्शन नहीं किया जा सकता। अकाउंट को एक्टिव करने के लिए ईपीएफओ (एढाड) में जाकर एप्लीकेशन देनी होती है। खाते बंद होने बाद भी खाते में पड़े पैसे पर ब्याज मिलता है। पहले ब्याज नहीं मिलता था, लेकिन 2016 में नियमों में संशोधन किया गया। बता दें पीएफ खाते में कर्मचारी के 58 साल की उम्र तक ब्याज मिलता है।
अगर पीएफ (ढा) अकाउंट को सात साल तक कोई क्लेम नहीं करता तो फंड सीनियर सिटीजन वेलफेयर फंड में डाल दिया जाता है।
बंद खाते को कौन करेगा सर्टिफाई
पीएफ के बंद खाते से जुड़े क्लेम निपटाना जरूरी है। इसके लिए क्लेम को कर्मचारी के नियोक्ता सर्टिफाइड करते हैं। हालांकि जिन कर्मचारियों की कंपनी बंद हो गई है। ऐसे में क्लेम सर्टिफाइड करने के लिए कोई नहीं है तो बैंक केवाईसी के आधार पर वेरिफाई करना होगा। केवाईसी डॉक्यूमेंट में पैन कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, राशन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस शामिल हैं। वहीं असिस्टेंट प्रॉविडेंट फंड कमिश्नर या अन्य अधिकारी रकम के हिसाब से अकाउंट ट्रासंफर की मंजूरी दे सकते हैं।