नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव के देर रात आए नतीजे बडे़ ही दिलचस्प रहे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट से चुनाव हार गई हैं। उन्हें, तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी ने 1956 वोट से हराया। रात 11 बजे आए नतीजों के मुताबिक शुभेंदु अधिकारी को कुल 1 लाख 10 हजार 764 वोट मिले। जबकि ममता बनर्जी को 1 लाख 8 हजार 808 वोट ही मिल सके। नंदीग्राम में कुल 2 लाख 28 हजार 405 लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। इनमें 2044 डाक मतपत्र शामिल थे। हालांकि नंदीग्राम की हार के बावजूद ममता की पार्टी ने सत्ता में जोरदार तरीके से वापसी की है। उन्हें 200+ सीटों पर बढ़त हासिल हुई है।
नंदीग्राम में काउंटिंग कुल 17 राउंड तक चली। ममता बनर्जी ने 12वें से 15वें राउंड तक बढ़त बनाई, लेकिन आखिरकार शुभेंदु ने उन्हें शिकस्त दे ही दी। इससे पहले, शाम साढ़े 4 बजे खबर आई थी कि नंदीग्राम में ममता 1200 वोटों से जीत गई हैं, लेकिन करीब डेढ़ घंटे बाद शाम 6 बजे भाजपा कळ सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया कि ममता जीती नहीं, बल्कि 1,622 वोटों से हार गई हैं। उधर, चुनाव आयोग की वेबसाइट अलग ही आंकड़े बताती रही।
पांच राज्यों में चुनाव, लेकिन चर्चा में नंदीग्राम
62 दिन चली चुनाव प्रक्रिया के बाद रविवार को बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के चुनाव नतीजे आए। इन पांचों जगह पर अकेली नंदीग्राम सीट का फैसला भारी पड़ गया। ‘खेला’ और झमेला भी यहीं होता दिखा। बंगाल की इस सीट से उट ममता बनर्जी मैदान में थीं। उनका मुकाबला तृणमूल छोड़कर भाजपा में आए शुभेंदु अधिकारी से होने की वजह से भी यहां चुनाव रोचक हो गया था। शुभेंदु ने कहा था कि वे 50 हजार वोटों से जीतेंगे और अगर हार गए तो राजनीति छोड़ देंगे।
क्या ममता ने भी पहले ही हार मान ली थी?
ममता के बयान से जाहिर हो रहा था कि नंदीग्राम में उनकी हार हुई है। कोलकाता में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ममता ने कहा कि नंदीग्राम के बारे में फिक्र मत करिए। मैंने नंदीग्राम के लिए संघर्ष किया। वहां के लोग जो भी तय करते हैं, मैं उसे स्वीकार करती हूं।
5 राज्यों के क्विक अपडेट्स और नतीजों के मायने
- बंगाल
कुल सीटें: 294 (वोटिंग 292 सीटों पर हुई)
बहुमत: 148 (292 सीटों के लिहाज से 147)
कौन जीता: तृणमूल कांग्रेस
नतीजों के मायने
यह तृणमूल की हैट्रिक और ममता के नेतृत्व पर मुहर है। तृणमूल को सीटों का भी कोई खास नुकसान नहीं हुआ।
1972 से अब तक बीते 49 साल में बंगाल में यह 11वां चुनाव है और जो पार्टी जीत रही है, उसका 200+ सीटों का ट्रेंड बरकरार है। सिर्फ एक बार 2001 में लेफ्ट को 200 से 4 सीटें कम यानी 196 सीटें मिलीं।
भाजपा के लिए साइकोलॉजिकल एडवांटेज यही है कि वह 5 साल में 3 सीटों से बढ़कर 70 सीटों के पार हो गई है और नंदीग्राम में उसने ममता को चौंका दिया है।
भाजपा के लिए बड़ा नुकसान यह है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में वह 126 विधानसभा क्षेत्रों में आगे थी। 2 साल में उसने 40 से ज्यादा सीटों पर यह मजबूती गंवा दी।
लेफ्ट और कांग्रेस का बंगाल में एक तरह से सफाया ही हो गया। शाम तक की काउंटिंग में दोनों का खाता नहीं खुल पाया।
इस बार 8 विधायकों सहित 16 दलबदलू भी हार गए। बाबुल सुप्रियो सहित इखढ के तीन सांसद हार की कगार पर आ गए।
- असम
कुल सीटें: 126
बहुमत: 64
कौन जीता: भाजपा+
नतीजों के मायने
मौजूदा चुनावों में असम ही इकलौता ऐसा राज्य था, जहां पार्टी सत्ता बचाने के लिए लड़ रही थी।
भाजपा की इस जीत ने असम में इतिहास रच दिया, क्योंकि उससे पहले यहां 70 साल में कभी किसी गैर-कांग्रेसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी नहीं की।
इन नतीजों ने यह बता दिया कि ठफउ यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स और उअअ यानी सिटिजन अमेंडमेंटशिप एक्ट का मुद्दा भाजपा को नुकसान नहीं पहुंचा पाया।
यह दावा इसलिए भी पुख्ता हो जाता है, क्योंकि पिछली बार 12 सीटें जीतकर भाजपा को सत्ता दिलाने में मदद करने वाले बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट इस बार कांग्रेस और लेफ्ट के साथ था। इसके बावजूद भाजपा को नुकसान नहीं हुआ।
कोरोना के मुद्दे पर घिरती भाजपा सरकारों के बीच एक राज्य में सत्ता बचाने वाले सर्बानंद सोनोवाल का अब भाजपा में कद बढ़ेगा।
- तमिलनाडु
कुल सीटें: 234
बहुमत: 118
कौन जीता: द्रमुक+कांग्रेस
नतीजों के मायने
यहां पहली बार जयललिता और करुणानिधि के बगैर विधानसभा चुनाव हुए। द्रमुक की इस जीत ने यह तय कर दिया कि करुणानिधि के बेटे एमके स्टालिन अब द्रविड़ राजनीति के सबसे बड़े हीरो होंगे।
करुणानिधि और जयललिता दोनों ही राजनीति में आने से पहले फिल्मी सितारे थे, जबकि स्टालिन गैर-फिल्मी चेहरा हैं।
जयललिता की गैरमौजूदगी में अन्नाद्रमुक के पास सिर्फ सीएम पलानीस्वामी के तौर पर एक चेहरा था, लेकिन उनके सामने स्टालिन ज्यादा वजनदार साबित हुए।
राज्य में एमजीआर के दौर के बाद हर 5 साल में सत्ता बदल जाने का ट्रेंड कायम है।
मौजूदा चुनावों में कांग्रेस की अगुआई वाला वढअ सिर्फ तमिलनाडु में ही मजबूत होता दिखा। इसी के साथ वढअ की अब 6 राज्यों में सरकार होगी। इससे पहले वह पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और झारखंड में सत्ता में है।
- केरल
कुल सीटें: 140
बहुमत: 71
इस बार कौन जीता: छऊा
नतीजों के मायने
केरल के वोटरों ने पिछले 8 चुनाव से एक बार लेफ्ट और एक बार कांग्रेस को सत्ता देने का अपना ट्रेंड तोड़ दिया।
कांग्रेस के करुणाकरन के बाद लेफ्ट के पिनाराई विजयन ऐसे दूसरे नेता होंगे, जो लगातार दूसरी बार सीएम बनेंगे।
यहां माना जा रहा था कि वोटिंग से 10 दिन पहले लेफ्ट की अगुआई वाला छऊा प्रचार में पिछड़ गया है, लेकिन नतीजों पर इसका असर नहीं दिखा।
राहुल ने केरल में तमाम छोटी रैलियां, रोड शो किए। उनके दम पर ही आम चुनाव में कांग्रेस ने यहां की 20 में से 19 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार वे वऊा को सत्ता नहीं दिला पाए।
बंगाल से साफ हो चुके लेफ्ट ने केरल में जीत के साथ अपना एक बड़ा गढ़ बचाए रखा है।
- पुडुचेरी
कुल सीटें: 30
बहुमत: 16
इस बार कौन जीता: अकठफउ+भाजपा
नतीजों के मायने
यहां चुनाव से ठीक दो महीने पहले यानी फरवरी में हुआ दलबदल कांग्रेस को भारी पड़ गया। राष्ट्रपति शासन लगने के बाद हुए इस चुनाव में कांग्रेस वापसी नहीं कर सकी।
कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के बाद पुडुचेरी दक्षिण का ऐसा तीसरा राज्य होगा, जहां भाजपा सरकार में शामिल होगी।