नई दिल्ली। देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की दुर्दशा पर पार्टी में अंदरखाने चल रहे उबाल को देखते हुए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हार की ईमानदारी से समीक्षा करने की बात कही है। उन्होंने ऐलान किया कि हार पर चर्चा लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी। सोनिया गांधी ने पार्टी इस चुनावी हार को अप्रत्याशित और निराशाजनक करार दिया। उन्होंने इस हार से सबक लेकर भविष्य का रास्ता तय करने के संकेत दिए हैं।
चुनावी हार को लेकर कार्यसमिति की बैठक बुलाने में इस बार देरी नहीं किए जाने के कांग्रेस हाईकमान के एलान को पार्टी में असंतोष के स्वर गंभीर होने की आशंका का नतीजा माना जा रहा है। हालांकि केरल और असम में पार्टी जिस तरह सत्ता से एक बार फिर बाहर रह गई और बंगाल में उसका सफाया हुआ है, उसे देखते हुए कांग्रेस की मौजूदा दशा-दिशा पर सवाल उठा रहे पार्टी के नेता हार की समीक्षा भर की बात से संतुष्ट होंगे इसकी गुंजाइश कम ही है।
चुनावी नतीजों ने कांग्रेस के बाहरी और भीतरी राजनीतिक संकट को और बढ़ाया
पार्टी के असंतुष्ट नेताओं के समूह जी-23 की ओर से लगातार संकेत दिए जा रहे हैं कि पांच राज्यों के नतीजों ने कांग्रेस के बाहरी और भीतरी राजनीतिक संकट को कहीं ज्यादा बढ़ा दिया है। एक वरिष्ठ असंतुष्ट नेता ने कहा कि अब केवल सतही समीक्षा और कमेटी बनाकर मुद्दों को टालने की रणनीति नहीं चल पाएगी क्योंकि पानी सिर से ऊपर बहने लगा है। इसलिए कार्यसमिति को न केवल हार की समीक्षा करनी होगी बल्कि जवाबदेही भी स्पष्ट रूप से तय करनी होगी।
मगर इससे भी ज्यादा अहम है कि कांग्रेस को डूबने से बचाने के लिए संगठन के ढांचे में व्यापक बदलाव से लेकर संसदीय बोर्ड के गठन जैसे अहम फैसले करने होंगे। सामूहिक नेतृत्व और सामूहिक निर्णय का ढांचा बनाना होगा। खासकर बंगाल में ममता बनर्जी की धमाकेदार जीत के बाद क्षेत्रीय पार्टियों की देश में विपक्ष का राष्ट्रीय विकल्प तैयार करने की सक्रियता को देखते हुए कांग्रेस अपनी राजनीतिक स्थिति और भूमिका दोनों को तुरंत स्पष्ट नहीं करेगी तो पार्टी कहीं की नहीं रहेगी।