नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में कार्यरत एडहॉक शिक्षकों को को लेकर कोरोना महामारी से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि डीयू के करीब 25 से अधिक शिक्षक और कर्मियो की कोरोना के चलते मौत हो गई है। इन घटना के बाद से दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर वेलफेयर फंड से जोड़ने की मांग तेज हो गई है। इसके लिए दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद, प्रबंध समिति और वर्किंग कमेटी ने कार्यवाहक कुलपति प्रो. पीसी जोशी को इस मामले में पत्र लिखा है।
काउंसिल और कमेटी से जुड़े पदाधिकारियों का मानना है कि महामारी के इस मुश्किल वक्त में एडहॉक शिक्षकों के परिवारों की मदद करनी चाहिए। कोरोना के चलते डीयू के करीब 25 से अधिक शिक्षकों और कई कर्मियों का निधन हो चुका है।
डीयू एग्जीक्यूटिव काउंसिल के पूर्व सदस्य व प्रोफेसर राजेश झा के मुताबिक, एडहॉक शिक्षक भी इसी विश्वविद्यालय का हिस्सा हैं और 10-10 वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं। इसीलिए एग्जीक्यूटिव काउंसिल की सदस्य प्रो.सीमा दास की ओर से कुलपति प्रो. पीसी जोशी को पत्र लिखा गया है। हमारी मांग है कि एडहॉक शिक्षकों को भी दिल्ली विश्वविद्यालय टीचर वेलफेयर फंड से जोड़ा जाना चाहिए। इसके अलावा अन्य शिक्षकों को इसके तहत मिलने वाले सभी लाभ भी दिये जाने चाहिए।
फंड की राशि 30 लाख करने का रखा गया प्रस्ताव
प्रो. झा के मुताबिक, डीयू टीचर वेलफेयर फंड में अभी 5 से 7 लाख रुपये की धनराशि पीड़ित परिवार को मिलती हैं। हालांकि हमारी मांग है कि इस धनराशि को 30 लाख रुपये कर दिया जाना चाहिए। दरअसल 5 से 7 लाख रुपये की धनराशि पीडित परिवार को देने का प्रस्ताव बहुत पुराना है। मौजूदा हालात को देखते हुए इसमें बदलाव की जरूरत है।
पीएम ने भी नौकरी से न हटाने का किया था आग्रह
प्रो. झा के मुताबिक, कोरोना महामारी की पहली लहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी और निजी संस्थानों को ऐसे मुश्किल वक्त में नौकरी से न निकालने का आग्रह किया था। हालांकि डीयू के विवेकानंद कॉलेज ने 12 एडहॉक सदस्यों की सेवाएं समाप्त करने की तैयारी शुरू कर दी है। जबकि उसमें से 5 शिक्षकों के परिवार कोरोना संक्रमित हैं। इस मामले में कुलपति प्रो. पीसी जोशी और दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से भी दखल की मांग की गई है। यह शिक्षक वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन अचानक सेवाएं समाप्त करने की तैयारी हो गई।