मथुरा। जिले में हुए जिला पंचायत चुनाव में कांग्रेस सबसे फिसड्ड़ी पार्टी साबित हुई। कांग्रेस जिलाध्यक्ष दीपक चौधरी का चुनाव में किसी तरह का सकारात्मक प्रभाव नहीं छोड़ सके। परिणाम स्वरुप खुद जिलाध्यक्ष दीपक चौधरी सहित कांग्रेस समर्थित 21 प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। काबिलेगौर बात यह है कि कांग्रेस 12 वार्डों पर अपने प्रत्याशी भी नहीं उतार पाई। जिले के इस अहम चुनाव में कांग्रेस की एक भी सीट न आने पर राजनीति से जुड़़े लोग आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं।
कांग्रेस जहां आगरा सहित यूपी में कई जिलों में अच्छे परिणाम जिला पंचायत चुनाव में लाई है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भी जिला पंचायत चुनाव के परिणामों से संतुष्टि जाहिर करते हुए आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर परिणाम आने की संभावना जता रहे हैं। वहीं मथुरा में कांग्रेस की बद से बदतर होती जा रही है। जिलाध्यक्ष दीपक चौधरी को भले ही पार्टी ने पुराने और सक्रीय कार्यकर्ताओं को अनदेखा कर नई उम्मीद के साथ जिले की जिम्मेदारी सौंपी हो। लेकिन कांग्रेस जिला पंचायत चुनाव में चारों खाने चित्त हो गई। उस जिले के इस अहम चुनाव में एक सीट भी नसीब नही हो सकी।
काबिलेगौर बात यह है कि जिलाध्यक्ष दीपक चौधरी के मंशा के अनुरुप चुनाव मैदान में उतारे गए 21 पार्टी समर्थित प्रत्याशियों में एक भी विजयी प्रत्याशी के करीब भी नहीं आ सका। हारे प्रत्याशियो में वार्ड 26 के प्रत्याशी को छोड़ कर सभी प्रत्याशी तीन से दसवीं रेंक पर पहुंच सके यही कारण है कि उनकी जमानत जब्त हा गई।
पार्टी के जिलाध्यक्ष दीपक चौधरी वार्ड संख्या 20 गोवर्धन चतुर्थ से चुनाव मैदान में उतरे। लेकिन वह और प्रत्याशियों की तो क्या अपनी भी जमानत जब्त करा बैठे। वह सिर्फ 3069 वोट ही जुटा पाए। जबकि उनके सामने खड़े हुए विजयी प्रत्याशी किशन सिंह उनके से दुगुने 7369 मत लाकर विजयी हुई और कांग्रेस जिलाध्यक्ष की जमानत जब्त हो गई।
राजनीतिक गलियारों से इस बात की चर्चा है कि इस तरह कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी ही जमानत जब्त कर बैठ तो आगामी विधानसभा चुनाव में यह कहां टिक पाएंगे और जनपद से एक भी सीट निकालना भी कांगे्रस पार्टी के लिए दिवा स्वप्न जैसा हो जाएगा।