Sunday, November 24, 2024
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ORDER: यूपी में स्वयं सहायता समूहों को नहीं दिया जाएगा सस्ते गल्ले की दुकानों का लाइसेंस


लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उत्तर प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों को सस्ते गल्ले की दुकानों का लाइसेंस देने से मना कर दिया। बता दें, बीते साल (7 जुलाई 2020) को सरकार ने शासनादेश जारी किया था कि स्वयं सहायता समूहों को वरीयता के आधार पर सस्ते गल्ले की दुकानें मिल जाएंगी। लेकिन कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अब यह आदेश रद्द कर दिया है. यह आदेश जस्टिस एआर मसूदी की एकल पीठ ने पांच रिट याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाते हुए पारित किया।

‘ऐसे समूहों का कोई शाश्वत नहीं होता’

हाई कोर्ट ने फैसला सुनाने के दौरान कहा कि बिना रजिस्ट्रेशन के इस प्रकार के समूह का कोई कानूनी स्तर नहीं होता, न ही वो शाश्वत होते हैं। इसके अलावा, कोर्ट का यह भी कहना है कि वंचित समूह के लोगों को दिए जा रहे राशन की मात्रा और गुणवत्ता की जिम्मेदारी भी तय की जाए। पीठ ने महामारी के मुद्दे पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट की पीठ से सरकार की ओर से वितरण के लिए चलाई जा रही प्रणाली के संबंध में विचार करने का अनुरोध किया है।

हाई कोर्ट ने दी ये टिप्पणी

हाई कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि वंचितों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। महामारी की वजह से बेरोजगारी आ गई है। बेरोजगारी की वजह से खाद्यान्न वितरण का मुद्दा काफी गंभीर है। कोर्ट ने इस तथ्य पर भी गौर किया कि पंचायत चुनाव के बाद ग्राम पंचायतें अब तक काम शुरू नहीं कर सकी हैं। भूख और कुपोषण के कारण भी मानव जीवन का नुकसान हो सकता है।

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