Saturday, November 23, 2024
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जानिए सावित्री के तप से कैसे प्रसन्न हुए यमराज, वट सावित्री व्रत कथा, पूजन का महत्व

राजेश सोलंकी
मथुरा।
हर साल की भांति इस बार भी समूचे ब्रज मंडल में वट अमावस्या का पर्व सुहागिन महिलाओं के द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। महिलाओं ने जगह-जगह वट वृक्ष की पूजा अर्चना विधि विधान से की। तो वही अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना की। पूजा अर्चना कर रही महिलाओं ने इस व्रत के महत्व के बारे में नियो न्यूज को बताया।


पुराणों के अनुसार वट-साावित्री की कथा

पुराणों के अनुसार बताया जाता है कि मध्य देश के राजा अश्वपति की एकमात्र संतान सावित्री थी और उन्होंने बनवासी राजा धुमत्सेन के पुत्र सत्यवान से शादी कर ली। सत्यवान के माता पिता अंधे थे सत्यवान लकड़ी काटकर भरण पोषण किया करते थे सावित्री को वरदान मिला हुआ था कि वह 12 वर्ष की हो जाएगी तो विधवा हो जाएगी। सावित्री अपने पति सत्यवान के साथ हंसी खुशी से रहने लगी और अपने सास-ससुर की सेवा करती रही । जैसे ही सावित्री 12 वर्ष की हुई तो उन्होंने अपने पति से कहा कि वह उनके साथ जंगल में घूमने के लिए जाना चाहती है।

सत्यवान ने कहा कि मेरे माता-पिता से आज्ञा ले लो ,सावित्री ने अपने सास-ससुर से कहा कि मैं अपने पति के साथ जंगल में घूमने के लिए जाना चाहती हूं सावित्री के अंधे सास-ससुर ने सावित्री को आज्ञा देदी जाओ बेटा जंगल में सत्यवान के साथ घूमने के लिए चली जाओ और सावित्री सत्यवान के साथ जंगल में लकड़ी काटने के लिए पहुंच गई। सावित्री लकड़ी काटने के लिए पेड़ पर चढ़ गई और सत्यवान पेड़ के नीचे सो गया। थोड़ी ही देर बाद पेड़ से एक सर्प निकल आया और सत्यवान को डंस लिया और सत्यवान की मौत हो गई जिसे देख सावित्री जोर जोर से रोने लगी और प्रभु से प्रार्थना करने लगी कि मेरा पति जिंदा हो जाए ।

कुछ ही देर बाद वहां से शंकर जी और पार्वती जी गुजर रहे थे तो सावित्री ने पार्वती के पैर पकड़ लिए और अपने पति का जिंदा होने की मिन्नत करने लगी पार्वती जी ने कहा कि आज वट मावस है वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति को जिंदा कर सकती हो तो सावित्री ने बड़ के पत्ते तोड़कर अपने कपड़े और गहने बनाए और उन्हें पहन कर वट वृक्ष की पूजा अर्चना करने लगी थोड़ी देर बाद देखा कि जो बर के पत्तों से कपड़े पहने हुए थे वह सोने चांदी की हीरा जवाहरात के गहने बन गए और वहां पर यमराज प्रकट हुए और यमराज सावित्री के द्वारा की गई पूजा अर्चना से प्रसन्न होकर तीन वचन मांगने को कहा बताओ सावित्री तुम तीन वचन ले सकते हैं।

यमराज ने खुश होकर देवी सावित्री को ये तीन वरदान


मैं आपके इस पूजा से प्रसन्न हूं । सावित्री बोली के पहले बचपन में मेरे माता-पिता के कोई पुत्र नहीं है उन को पुत्र प्राप्ति हो यमराज ने उनको वरदान दे दिया कि तुम्हारे माता पिता के पुत्र प्राप्ति होगी। वही दूसरे वचन में सावित्री ने अपने अंधे सास-ससुर को सही करने व उनके राज्य को वापस दिलाने को कहा तो यमराज ने सावित्री के शास ससुर सही कर दिया और उनके राज्य को वापस दिलाने का वचन दिया वहीं तीसरे वचन में सावित्री ने मांगा कि में 100 बच्चों की मां बनूँ यमराज ने बगैर सोचे-समझे सावित्री को यह भी बच्चन दे दिया और सत्यवान के प्राण लेकर चलने लगे तभी सावित्री ने यमराज के पैर पकड़ लिए यमराज बोले सावित्री अब क्या चाहिए 3 वर मांग चुकी हो सावित्री ने कहा कि प्रभु मुझे 100 पुत्र देने का तो वचन दे दिया लेकिन बगैर पति के मैं कैसे मां बन सकती हूं इसे सुनकर यमराज बहुत ही प्रसन्न हुए उन्होंने सत्यवान के प्राण वापस कर दिए यमराज बोले आज के दिन वट अमावस्या का व्रत रखकर जो भी सुहागन महिलाएं पूजा-अर्चना करेंगे उनके पति की दीर्घायु रहेगी।

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