मथुरा। उत्तरप्रदेश की योगी सरकार के लाख प्रयास के बाद भी पतितपावनी यमुना में नाले सीधे गिर रहे हैं। जिससे यमुना का जल आचमन तो दूर स्नान योग्य भी नहीं है और घाटों जहां ब्रजवासी पूजन करते हैं वहां कीचड़ जमी है। जिससे ब्रजवासियों और श्रद्धालुओं की आस्था आहत हो रही है। काबिलेगौर बात यह है कि दशहरा पर्व नजदीक है, लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम ने यमुना के घाटों की ओर से पीठ कर ली है।
यमुना किनारे मथुरा के घाटों पर लंबे समय से दुर्गंधयुक्त कीचड़ जमा हो रही है। ब्रज संस्कृति की प्रतीक यमुना का जल प्रदूषित हो रहा है। कई दशकों से प्रदेश सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों के यमुना का जल निर्मल और अविरल करने के दावे सिर्फ खोखले साबित हो रहे हैं। नतीजतन यमुना के घाटों और यमुना की दशा देखकर ब्रजवासी और श्रद्धालुओं की आस्था को चोट पहुंच रही है।

पिछले दिनों श्रीमाथुर चतुर्वेद परिषद ने डीएम को ज्ञापन देकर घाटों की सफाई कराने और यमुना में शुद्ध जल छोड़े जाने की मांग की थी। लेकिन जिला प्रशासन ने मांग की भी अनदेखी की और समस्या जस की तस बनी है।
इस संबंध में एक संस्था द्वारा जहां नगर निगम के सहयोग से सफाई अभियान चलाया जा रहा था। इसी बीच नगर निगम के सफाई कर्मचारी इन दिनों घाटों से नदारद नजर आ रहे हैं। यमुना प्रदूषण की निगरानी करने वाले न रिवर पुलिस और न ही जलनिगम के कर्मचारी यमुना तट पर हैं।

याचिकाकर्ता नेता गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी का कहना हे कि नगर निगम प्रशासन और जिला प्रशासन पूरी तरह से सरकार और न्यायालयों को धोखा दे रहे हैं। न्यायालय में यमुना को लेकर लंबे समय से झूठा शपथपत्र दिया जा रहा है। वहीं केन्द्र एवं प्रदेश सरकार को भी वास्तविकता से दूर रखा जा रहा है।