Sunday, November 24, 2024
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आपकी बाधाओं का कारण दूषित राहु तो नहीं, जानिए सुधार के उपाय

राहु कोई दिखने वाली ग्रह नहीं वल्कि ग्रहों के परिपथ का एक विशेष स्थान मात्र है। परन्तु ये कुंडली में अन्य ग्रहों की तरह बहुत ही अहम भूमिका निभाता है और व्यक्ति के जीवन पर आत्यधिक प्रभाव भी डालता है। वैसे शुभ राहु ऊंचे पदाधिकारी, नीति निर्धारक, प्रशासक, विचारक, आदि बनाने में भी बहुत सहयोगी होता है। मगर हम आपको नकारात्मक राहु की स्थिती, परेशानी और सटीक निदान के बारे में बताने जा रहे हैं। इससे पहले जानिए राहु से बनने वाले कुछ नकारात्मक योग-

  1. चांडाल योग

यह राहु और गुरू के योग से निर्मित होता है तथा देव व राक्षसी प्रवर्तियों का संयोग होता है, ज्ञान का दुप्र्रयोग, क्षमता का उचित लाभ ना मिलना, निर्णय गलत, स्वप्नों में जीना, कन्फ्यूजन, और अपनी ही गलतियों के कारण हर क्षेत्र में रुकावटें होना ही इसके दुष्परिणाम होते हैं।

  1. कालशर्प दोष

यदि समस्त सूर्यादि ग्रह राहु और केतू के मध्य में स्थिति हों। कुंडली में प्रमुख 12 प्रकार के कालशर्प होते हैं।आजकल ये बहुत चर्चित व विवादित योग है तो इसके वैज्ञानिक पहलू को समझते हैं। जब मात्र सूर्य व चंद्र एक सीध में आने पर प्रथ्वी के गुरुत्वाकर्षण को डगमगा कर समुद्र में ज्वार-भाटा पैदा कर सकते हैं तो सातों ग्रहों का एक ही तरफ होना कुछ विषेश नहीं करता होगा। क्या शरीर में प्रथ्वी के समान जलीय अनुपात के मानव जीवन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पडता होगा निश्चित ही ये योग हमारे देहिक, मानसिक, और भौतिक जीवन में रुकावटें डालकर उन्नती में बाधाऐं पैदा करता है। अत: हमारा मत है कि इसका वैदिक-तंत्र विधी से उपाय अवश्य करना चाहिये अथवा सही अभिमंत्रत “कालशर्प लोकेट” धारण करना चाहिए।

  1. पित्र दोष

यदि सूर्य, लग्न, या पिता के कारक भावों पर राहू या केतू की द्रष्टियां हों तो ये दोष होता है। पैत्रक सम्बंध खराब, पैत्रक संपत्ति में रुकावट, अनुवांशिक कष्ट, संतान बाधा, निरन्तर असफलता, कुलदेव-कुलदेवी का प्रकोप, परिवारिक कलह, निरंतर रोग तथा अति तनाव पूर्ण स्थिति का निर्माण होता है।

  1. ग्रहण दोष

यदि राहू सूर्य का योग, राहू चंद्र का योग या चंद्र सूर्य का योग हो तब ये योग बनता है और नाम के अनुसार ही जीवन को ग्रहण लगाने में कसर नहीं छोड़ता पग-पग पर बाधाऐं पैदा करता है एवं नकारात्मक मनोदशा बनाता है, परिवार में मनोरोग भी पैदा कर सकता है।

  1. अंगारक दोष

राहू-मंगल का साथ होने से यह योग बनता है तथा जाचक को अग्नि तत्व की अधिकता प्रदान करता है अगर इसके साथ कुंडली मांगलिक भी है तो इसका वैवाहिक जीवन, पार्टनर शिप, भाइयों से सम्बंधित, निजी व्यवहार, प्रेम सम्बंध, और जीविका के साधनों पर बहुत विपरीत प्रभाव पड सकता है”अंगारक शान्ति अवश्य करवानी चाहिऐ”।

  1. राहू-शनि योग

किसी भी भाव मे राहू, शनी एक साथ हों तो ये श्रापित-दोष बनता है ऐसी कुंडली श्रापित मानी जा सकती है ऐसा जाचक दैविक-प्रकोप, जादू-टोंना, तंत्र-मंत्र, या ऐसे लोगों के अभिचारिक कार्यो से जीवन में आत्यधिक मजबूर पाता है और असहाय सा होने लगता है बीमारियां भी समझ में नहीं आती। दवाऐं भी सही से काम नहीं करतीं। किऐ गये पुण्य कार्य भी निष्फल नजर आते हैं।

कुंडली में इन योगों के अलावा भी राहू कई स्थितियों में नकारात्मक हो सकता है इन सभी प्रभावों का योग्य विद्वान से कुंडली परीक्षण अवश्य करा लेना चाहिए ।

  • अशुभ राहु के कुछ और लक्षण भी है कुंडली के बिना भी देख सकते है।
  • आसमान के सपने देखना और सही प्रयास ना करना।
  • अच्छी सलाह व अच्छे मित्रो की जगह चालबाजों की संगती, और बात मानना।
  • शराब- शबाब या अन्य लतों के चक्कर में अपने को बरबाद कर लेना।
  • लगातार टीवी और मनोरंजन के साधनों में अपना मन लगाकर बैठना, होरर शो या गंदे चलचित्र देखने की आदत होना।
  • भूत प्रेत और रूहानी ताकतों के लिये जादू या शमशानी काम करना या ऐंसे लोगो के चक्कर में आना।
  • नेट पर बैठ कर बेकार की स्त्रियों और पुरुषों के साथ चैटिंग करना और दिमाग खराब करते रहना।
  • पेट के रोग, दिमागी रोग, पागलपन, खाज खुजली , या गंदगी से उत्पन्न रोग होना।
  • भूत -चुडैल का शरीर में प्रवेश, बिना बात के ही झूमना, नशे की आदत लगना।
  • गलत स्त्रियों या पुरुषों की संगती होना। शरीर के अन्दर अति कामुकता के विचार आना।
  • सड़क पर गाडी आदि चलाते वक्त फालतू पौरुष दिखाना या कलाबाजी दिखाने के चक्कर में शरीर को तोड़ लेना।
  • बाजी नामक रोग लगा लेना, जैसे गाडीबाजी, गलत शौक, ड्र्ग लेने की आदत डाल लेना।
  • नींद नही आना, शरीर में चींटियों के रेंगने का या सुन्न जैसा अहसास होना।
  • बेबजह गाली-गलौज या अश्लील भाषा प्रयोग करने की आदत पड़ जाना।
  • अगर इस तरह के लक्षण मिलते है, तो समझना चाहिये कि किसी न किसी रूप में राहु का प्रकोप शरीर पर है, अथवादशा- गोचर से राहु अपनी नकारात्मक शक्ति देकर मनुष्य जीवन को दुर्गती प्रदान कर रहा है। या फिर प्रारब्ध के पाप-कर्म अथवा पूर्वजों की गल्तियों के कारण जातक को इस प्रकार से उनके पाप भुगतने के लिये राहु प्रयोग कर रहा है। इस तरह की किसी भी समस्या में किसी योग्य ज्योतिषाचार्य से परामर्श लेकर सही वैदिक- तंत्र विधी से उचित निदान अवश्य करवा लेना चाहिये क्यों कि उन्नति की राहों में हर दिन बहुमूल्य है व्यर्थ ना जाऐ।
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