अयोध्या। अयोध्या में रामजन्म भूमि पर मंदिर निर्माण के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जमीनें तेजी से बिकनी शुरू हो गईं। कोविड महामारी के दौर में भी जमीन की खरीदफरोख्त में जबर्दस्त बूम आ गया है। देशभर के लोग ऐतिहासिक बनने जा रहे राम मंदिर के कारण अब ब्रज की तहर अयोध्या में भी एक आशियाना बनाने की चाहत लिए जा रहे हैं।
जमीन में आई अचानक तेजी का अंदाजा दो बातों से लगाया जा सकता है, पहली- यूपी सरकार को 17 अक्टूबर 2020 को एक आदेश जारी कर अयोध्या की कई जमीनों की बिक्री पर रोक लगानी पड़ी, क्योंकि सरकार यहां अपने प्रोजेक्ट्स शुरू करना चाहती है। दूसरी- अयोध्या के स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में 5,962 रजिस्ट्री हुई थीं। 2020-21 में यह आंकड़ा 13,856 पर पहुंच गया। यानी 2017-18 के मुकाबले 2020-21 में 232% ज्यादा रजिस्ट्री हुईं।
बढ़ती कीमतों की बानगी
अयोध्या के रहने वाले विकास सिंह जमीनी से जुड़ी वर्तमान हकीकत को स्पष्ट करने को काफी हैं। 2017 में रामलला मंदिर से करीब ढाई किमी दूर विद्याकुंड क्षेत्र में 1361 स्क्वायर फीट का प्लॉट लिया। तब इसके लिए 8.16 लाख रुपए चुकाए थे। अब लोग इसके लिए 30 लाख रुपए दे रहे हैं, लेकिन विकास ने इसे बेचने से मना कर दिया है।
विकास के जमीन लेने से एक साल पहले अचल चंद्र गुप्ता ने जमीन ली थी। अचल रेस्टोरेंट चलाते हैं। बन रहे राम मंदिर से महज दो किमी दूर सब्जी मंडी के पास 5 साल पहले 2100 स्क्वायर फीट का प्लॉट लिया था। इसके लिए 14.17 लाख रुपए चुकाए थे और अब इसके 84 लाख मिल रहे हैं।
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