Sunday, April 20, 2025
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कब से शुरू हो रहा सावन सोमवार, जानिए पूजा विधि और महत्व

सावन मास में पड़ने वाले सोमवार भगवान शिव के लिए बेहद ही प्रिय होते हैं। इस खास दिन अगर शिव भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं तो उन्हें मनोंवांछित फल की प्राप्ति होती है। मानना है कि इस महीने अगर भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाए तो वह जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। क्या आप भी भगवान शिव के भक्त हैं और उन्हे प्रसन्न करना चाहते हैं तो सावन का महीना आपकी ये इच्छा पूरी कर सकता है। इस बार 25 जुलाई यानी की रविवार से सावन मास शुरू हो रहा है इस मास में कुल 4 सोमवार पड़ रहे हैं। चलिए अब इन सोमवार की तारीख और पूजा विधि व अन्य के बारे में विस्तार से जानते हैं।

26 जुलाई को सावन का पहला सोमवार पड़ रहा है। वहीं दूसरा सोमवार दूसरे माह यानी अगस्त में 2 तारीख को पड़ रहा है। तीसरा सोमवार के बारे में अगर जानें तो यह 9 अगस्त को है और चौथा सोमवार का व्रत 16 तारीख को पड़ रहा है। इन चारों सोमवार अगर आप पूर्णत: विधि विधान से भगवान शिव की आराधना करते हैं तो निश्चित तौर पर आपको मनचाहा वर मिलेगा साथ ही भगवान शिव आपसे प्रसन्न होगें। लेकिन इससे पहले जरूरी है कि आप इन सोमवार में करने वाले पूजा विधि के बारे में अच्छे से जान लें।


सावन सोमवार पूजा विधि

अगर आप भी सावन सोमवार का व्रत रख रहे हैं तो इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें और पूजा की तैयारियां कर लें। सूर्योदय के साथ सर्वप्रथम सूर्यदेव को जल दें और उसके बाद पूजा शुरू करें। पूजा करने से पहले घर में गंगा जल छिड़क कर घर का शुध्दि करण कर लें। इसके बाद अगर आप घर में शिवलिंग रखकर उस पर जल अर्पित करना चाहते हैं तो इसके लिए आप पहले मिट्टी के शिवलिंग बनाएं और उसे शमी के पेड़ के गमले में रख दें। उसके बाद ही उस शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। शिवलिंग बनाने से पहले इस बात का विशेष ध्यान रखें कि यह शिवलिंग अंगूठे के पोर के बराबर ही हो।


पूजा घर में भगवान शिव की प्रतिमा होना चाहिए या फिर उनकी तस्वीर क्योंकि जब आप शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं तो उसके बाद आपको शिव जी की प्रतिमा के सामने आसन लगाकर बैठना होगा। अब आप अपने व्रत का संकल्प लेकर पूजा शुरू करें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जो फोटो या प्रतिमा आपने रखी हो उसमें शिव जी और माता पार्वती दोनो ही साथ में हो।

इसके बाद आपको एक खास मंत्र ‘मम क्षेमस्थ्र्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृध्दयर्थं सोमव्रतं करिष्ये’ का जप करें। अब इसके बाद एक दूसरा मंत्र ‘ध्यायेन्नित्यंहेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रावतंसं रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्। पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणैव्र्याघ् वसानं विश्वाद्यं निशिल भयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्।। का जप करें। अब आपको ऊँ नम: शिवाय मंत्र से शिवजी का तथा ऊँ शिवाय नम: से पार्वती जी का षोडशोपचार पूजन करें।


भगवान को अर्पित करें

मंत्र पढ़ते समय आपको भगवान शिव को पूष्प, धूप अगरबत्ती और नैवेद्य के साथ फल और प्रसाद चढ़ाना है। फिर शिव चालीसा पढ़कर आरती करना है। इसके बाद प्रसाद बांटकर भोलेनाथ और माता पार्वती से पूजन के दौरान जाने-अंजाने में जो गलतियां हुई हैं उनके लिए क्षमा मांगना है। इतना सब करने के बाद ही आपको भोजन या फलाहार ग्रहण करना है।

सावन सोमवार का महत्व

सावन सोमवार का व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वतीजी को प्रसन्न करने के लिए आने वाले सावन सोमवार पर आप यह व्रत रख सकते हैं। ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का भी वास होगा। यही वजह है कि सनातन धम्र में सावन के महीने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव शंकर की आराधना के लिए सावन मास सर्वश्रेष्ठ है। यही नहीं सावन सोमवार में भगवान शिव शंकर का अभिषेक करने से नवग्रहों का दोष दूर होता है। इतना ही नहीं विवाह में आ रही बाधाओं का भी अंत होता है।

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