आज अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुप्त नवरात्रि का पहला दिन है। गुप्त नवरात्रि के दौरान 10 महाविद्याओं की पूजा अर्चना की जाती है। गुप्त नवरात्रि के पहले दिन भक्त मां कालिका की आराधना कर रहे हैं। माता कालिका 10 महाविद्याओं में से एक हैं। मां काली के 4 रूप हैं- दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृ काली और महाकाली। माता ने महिषासुर, चंड, मुंड, धूम्राक्ष, रक्तबीज, शुम्भ, निशुम्भ। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार- मां कालिका कलियुग की जाग्रत देवी मानी जाती हैं। साल में 2 बार गुप्त नवरात्रि भी आती है जो माघ और आषाढ़ के महीने में आती है। आइए जानते हैं घट स्थापना का मुहूर्त और धार्मिक मान्यताएं…
इस बार गुप्त नवरात्र पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, जो कि सुबह 5:31 बजे से रात्रि 2:22 तक रहेगा और उस दिन रवि पुष्य नक्षत्र भी पड़ रहा है, जो कि गुप्त नवरात्र में कलश स्थापना पर सभी कार्य सिद्ध करेगा। इस बार नवरात्र 8 दिन की होगी, क्योंकि षष्टी और सप्तमी तिथि एक ही दिन होने के कारण सप्तमी तिथि का क्षय हुआ है। घटस्थापना का शुभ समय – लाभ और अमृत का चौघड़िया प्रात: काल 9.08 मिनट से शुरू होकर 12.32 मिनट तक रहेगा। – अभिजित मुहूर्त- दिन में 12.05 मिनट से 12.59 मिनट तक रहेगा।
गुप्त नवरात्र पूजा विधि :
सुबह जल्दी उठकर सभी कार्यो से निवृत्त होकर नवरात्र की सभी पूजन सामग्री को एकत्रित करें। मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में सजाएं। मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें। पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें। इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाएं और उस पर नारियल रखें। कलश को लाल कपड़े से लपेटें और कलावा के माध्यम से उसे बांधें। अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें। फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें।
नौ दिनों तक मां दुर्गा से संबंधित मंत्र का जाप करें और माता का स्वागत कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें। अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं। आखिरी दिन दुर्गा के पूजा के बाद घट विसर्जन करें, मां की आरती गाएं, उन्हें फूल, चावल चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं।