नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को लेकर आशंका बनी हुई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक तीसरी लहर से लोगों को सुरक्षित रखने के लिए वैक्सीनेशन अभियान को और तेज करने की आवश्यकता है। इन सब के बीच लोगों के मन में वैक्सीन की खुराक को लेकर कई सवाल हैं। इसी से संबंधित हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने स्पष्ट किया है कि सभी लोगों को लिए कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेना बेहद जरूरी है, संक्रमण से सुरक्षित रखने में दूसरी डोज से बनी मजबूत एंटीबॉडीज महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के अध्ययन के मुताबिक, कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी खुराक प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है। कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए सभी लोगों को वैक्सीन की दोनों खुराक जरूर लेनी चाहिए, दूसरी डोज को किसी भी हाल में छोड़ा नहीं जाना चाहिए। अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह जानने की कोशिश की, कि वैक्सीन की दूसरी डोज प्रतिरक्षा प्रणाली को किस प्रकार से प्रभावित कर सकती है और कोरोना से सुरक्षा देने में इसकी क्या भूमिका हो सकती है? आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने कोविड वैक्सीन ले चुके 56 लोगों के ब्लड सैंपल का परीक्षण किया। इस सैंपल के आधार पर शरीर में बनीं एंटीबॉडीज की मात्रा, प्रतिरक्षा-संकेतक प्रोटीन के स्तर और जीनोम का परीक्षण किया। अध्ययन में शामिल ज्यादातर लोगों ने फाइजर (आरएनए) वैक्सीन लगवाई थी। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि वैक्सीन की पहली डोज शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज के स्तर को तो बढ़ा देती है। हालांकि वैक्सीन की दूसरी डोज इन पहले से बनी एंटीबॉडीज को शक्तिशाली बनाने के साथ इसकी मात्रा बढ़ाने के लिए काफी आवश्यक है।
अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि वैक्सीन की दूसरी डोज के बाद एंटीबॉडीज के उन अंशों का भी विकास हो जाता है जो सामान्यतौर पर पहली खुराक के बाद नहीं बन पाती हैं। इस बारे में स्टैनफोर्ड मेडिसिन के प्रोफेसर बाली पुलेंद्रन कहते हैं, वैक्सीन की पहली डोज की तुलना में दूसरे शॉट के बाद एंटीबॉडीज के स्तर में कई गुना तक वृद्धि देखने को मिली है। अध्ययन के दौरान पाया गया कि पहली डोज के बाद एंटीबॉडीज का टी-कोशिकाएं कम थी, हालांकि दूसरी खुराक के बाद इनमें तेजी से इजाफा देखने को मिला है। टी-कोशिकाओं को किलर कोशिकाओं के रूप में भी जाना जाता है जो शरीर में संक्रमित कोशिकाओं को ढूंढकर उन्हें नष्ट कर देती हैं, इससे संक्रमण पूरे शरीर में नहीं फैलने पाता है।
प्रोफेसर बाली पुलेंद्रन कहते हैं, वैक्सीन की दूसरी खुराक फस्र्ट रिस्पॉन्डर कोशिकाओं को भी बढ़ावा देने में काफी सहायक पाई गई हैं। वैक्सीन की पहली डोज के बाद जहां इन कोशिकाओं की मात्रा केवल 0.01 प्रतिशत थी, उसी में दूसरी डोज के बाद करीब 100 गुना तक बढ़ोतरी देखी गई है। यह कोशिकाएं वायरल संक्रमणों के खिलाफ व्यापक सुरक्षा प्रदान करने में विशिष्ट रूप से सक्षम होती हैं। इस आधार पर भी हम कर सकते हैं कि सभी लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज हर हाल में लेनी चाहिए।