लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 आने वाले हैं। चुनाव की तैयारियों में राजनीतिक दल जुटे हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव जहां साइकिल यात्रा के माध्यम से सत्ता में वापसी का रास्ता तलाश रहे हैं। तो वहीं ब्राह्मण सम्मेलन के जरिए मायावती भी बसपा में फिर से जान फूंकने की कोशिश कर रही है। सत्ताधारी भाजपा में लखनऊ से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर चल रहा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी जोर शोर से तैयारी में लगी हैं।
साल 2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए 312 सीटों पर विजय हासिल की थी। उस वक्त अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर भाजपा 325 सीटों पर काबिज हुई, लेकिन इस आंधी में भी लगभग 80 सीटें ऐसी थी जिन पर ना तो भाजपा और ना ही उसके सहयोगी जीत पाए। यहां विपक्षी पार्टियों का कब्जा रहा। अब जब विधानसभा चुनाव बेहद करीब है तो पार्टी इस रणनीति में जुटी है कि कैसे इस बार भी ज्यादा से ज्यादा सीटों पर कमल खिलाया जाए, इनमें खास फोकस उस वक्त हारी हुई लगभग 80 सीटों पर है, जहां 2017 में पार्टी को जीत हासिल नहीं हुई थी।
60 से ज्यादा सीटों पर भाजपा का आज तक नहीं खिला कमल
2017 में 78 ऐसी सीटें ऐसी थी जहां भाजपा और उसके सहयोगी नहीं जीत पाए थे, फिर उसके बाद ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा गठबंधन से अलग हो गई तो उसकी 4 सीटों को भी पार्टी ने हारी हुई सीटों में शामिल कर लिया। जिसके बाद ऐसी सीटों की संख्या 82 हो गई। वहीं, उपचुनाव में 2 सीट गंवाने के बाद इन सीटों की संख्या बढ़कर हो गई 84। अब इन 84 सीटों पर जीत की अलग रणनीति तैयार की गई है। इन 84 सीटों में भी 60 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी का कमल आज तक नहीं खिला है।
इन सीटों पर नहीं जीती भाजपा
यूपी में ऐसी वो कौन सी सीटें हैं जहां भाजपा आज तक जीतने में सफल नहीं हो पाई है और पार्टी का इस बार फोकस इन सीटों को जीतने पर है। इनमें अगर हम बात करें तो अंबेडकर नगर की अकबरपुर, आजमगढ़ की निजामाबाद सीट, सीतापुर की सिधौली सीट, रायबरेली की हरचंदपुर सीट, लखनऊ की मोहनलालगंज सीट, रायबरेली सदर सीट, कानपुर की सीसामऊ सीट, आजमगढ़ की आजमगढ़ सदर सीट, प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट, इटावा की जसवंतनगर सीट, रायबरेली की ऊंचाहार सीट, जौनपुर की मल्हनी सीट, आजमगढ़ की अतरौलिया सीट, आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट आजमगढ़ की गोपालपुर सीट शामिल है। जौनपुर की मल्हनी सीट जो पहले रारी विधानसभा थी वहां भी बीजेपी आज तक कभी नहीं जीती है। इसके अलावा प्रतापगढ़ की कुंडा सीट बीजेपी 1993 के बाद कभी नहीं जीती।
भाजपा बना रही है ये रणनीति
यूपी में 60 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं जहां भाजपा अभी तक कमल नहीं खिला पाई है और इसीलिए इस बार इन सीटों पर भी कमल खिलाने के लिए पार्टी ने रणनीति तय की है। यहां पार्टी ने अलग-अलग लोगों को प्रभारी भी नियुक्त किया गया है। पार्टी का पूरा फोकस है कि कैसे 2022 में इन सीटों पर भी कमल खिलाया जाए। इसके लिए पार्टी ने हर सीट पर अलग-अलग प्रभारी भी नियुक्त किए हैं, इन सीटों को जिताने की जिम्मेदारी पार्टी ने अपने विधान परिषद के सदस्यों, राज्यसभा सांसदों, निगम, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों को सौंपी है, जो लगातार इन सीटों पर जीत की रणनीति बनाने में जुटे हैं।