Thursday, October 3, 2024
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कोरोना वैक्सीन लगवाने से इनकार करने पर वायु सेना का कर्मचारी बर्खास्त

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुजरात हाईकोर्ट में बताया कि भारतीय वायु सेना के एक कर्मचारी को कोविड-19 वैक्सीन लेने से इनकार करने पर बर्खास्त कर दिया है। बताया गया कि जामनगर के वायुसेना के एक कॉर्पोरल की एक याचिका का जवाब देते हुए सरकार ने इसका खुलासा किया। कॉर्पाेरल ने दलील दी है कि टीकाकरण नहीं कराना उनका मौलिक अधिकार है।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि गुजरात हाईकोर्ट ने वायुसेना के कॉर्पोरल योगेंद्र कुमार की याचिका का निपटारा कर दिया। हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को दी गई अंतरिम राहत तब तक जारी रहेगी, जब तक कि उसके मामले पर भारतीय वायुसेना द्वारा फैसला नहीं किया जाता है।

याचिकाकर्ता योगेंद्र कुमार ने 10 मई, 2021 को जारी कारण बताओ नोटिस को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट की शरण ली थी। उन्होंने अदालत से भारतीय वायुसेना को दंडात्मक कार्रवाई न करने का निर्देश जारी करने की भी मांग की थी।

याचिकाकर्ता योगेंद्र कुमार ने हाईकोर्ट को बताया था कि केंद्र सरकार ने कहा था कि टीका विशुद्ध रूप से स्वैच्छिक है, अनिवार्य नहीं। याचिका के जवाब में वायुसेना ने कहा था कि टीकाकरण एक सेवा आवश्यकता है और सशस्त्र बलों के लिए व्यक्तिगत विकल्प नहीं है। ‘जैविक हथियारों के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए’ टीके की खुराक लेना आवश्यक है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि बर्खास्त कर्मचारी राजस्थान का है। इसके अलावा सरकार ने कोई और विवरण नहीं दिया।

सहायक सॉलिसिटर जनरल देवांग व्यास ने गुजरात हाईकोर्ट को बताया कि नौ वायुसेना कर्मचारी जो टीका लेने के लिए अनिच्छुक थे, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और ‘उन्हें यह समझाने के लिए कहा गया था कि टीकाकरण के आदेश की अवहेलना करने के लिए उनकी सेवाओं को समाप्त क्यों नहीं किया जाना चाहिए?’ उन्होंने आगे कहा कि इनमें से आठ कर्मचारियों ने नोटिस का जवाब दिया था, जो जवाब देने में विफल रहा, उसे बर्खास्त कर दिया गया। मालूम हो कि कई अदालतें पहले ही कह चुकी हैं कि टीकाकरण को रोजगार, सरकारी लाभों से नहीं जोड़ा जा सकता है और इसका उपयोग किसी व्यक्ति को उनकी आजीविका से वंचित करने के लिए नहीं किया जा सकता है।

उच्च न्यायालय के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि टीकाकरण अनिवार्य नहीं है, बल्कि स्वैच्छिक है। याचिकाकर्ता ने अदालत को सूचित किया था कि सरकार ने लोकसभा को बताया था कि टीकाकरण के कारण उत्पन्न होने वाले किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव या चिकित्सा जटिलता के खिलाफ कोविड-19 टीकाकरण प्राप्त करने वालों के लिए मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है।

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