मथुरा। कभी-कभी गरीबी जिंदगी को मजाक बना देती है और गरीबी अपनों को भी भूला देती है। एक शख्स का गरीबी ने जीवन के अंतिम पड़ाव तक भी पीछा नहीं छोड़ा। उसके मरने क बाद खून के रिश्त भी अनजाने हो गए। गरीबी के चलते परिजनों ने अंतिम संस्कार करना तो दूर उसे पहचानने से भी इनकार कर दिया। जी हां, विकास की ओर तजी से बढ़त डिजीटल इंडिया के मथुरा शहर में ऐसा वाकया सामने आया है।
मथुरा जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक पर 7 अगस्त को की शाम को एक 28 वर्षीय युवक बेहोशी की हालत में जीआरपी थाने में सिपाही प्रीतम सिंह को दिखाई दिया। सिपाही ने जीआरपी थाने को बताया, इस पर युवक को उपचार के लिए मथुरा के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जब उसे होश आया तो युवक ने अपना नाम सूरज ग्राम गुहारी थाना हटा दमोह मध्य प्रदेश बताया। इलाज के दौरान युवक ने 15 अगस्त को दम तोड़ दिया।
अस्पताल प्रशासन सूरीज की मौत की सूचना जीआरपी मथुरा को दी। जीआरपी थाने के उप निरीक्षक युगरतन सिंह ने थाना हटा पुलिस से संपर्क किया और गुहारी गांव के चौकीदार का नंबर हासिल किया। चौकीदार जब सूरज के घर पहुंचा तो परिजनों ने सूरज के जिंदा होने और काम पर मुंबई जाने की सूचना दी। सूरज जिंदा है।
जीआरपी पुलिस के द्वारा जांच करने के लिए एक पुलिसकर्मी मृतक के गांव गुहारी मध्य प्रदेश भेजा गया तो परिजनों ने सव के फोटो को पहचानने से ही इनकार कर दिया जब पुलिस के द्वारा परिजनों के आस पड़ोस में जाकर बात कही तो परिजनों को समझाया और परिजनों ने पैसे ना होने की स्थिति में सव ले जाने के लिए असमर्थता जताई तो जीआरपी पुलिस के द्वारा हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया जब जाकर मृतक का जीजा शंकरलाल मथुरा आया और पोस्टमार्टम के बाद सव को अपने साथ लेकर जीआरपी पुलिस की मदद से मथुरा में ही विधि विधान से अंतिम संस्कार करा दिया।