गौतमबुद्धनगर। गौतमबुद्धनगर के डीएम सुहास एलवाई देश के पहले ऐसे आईएएस अफसर होंगे, जो टोक्यो पैरालंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं। वह साल 2007 बैच के आईएएस अफसर हैं साथ ही दुनिया के दूसरे नंबर के पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी भी हैं।
कर्नाटक के छोटे से शहर शिगोमा में जन्मे सुहास एलवाई ने अपनी तकदीर को अपने हाथों से लिखा है। जन्म स ही दिव्यांग पैर में दिक्कत होने पर सुहास शुरुआत से आईएएस नहीं बनना चाहत थे। वह बचपन से ही खेल की प्रति बेहद दिलचस्पी रखते थे। इसके लिए उन्हें पिता और परिवार का भरपूर साथ मिला। पैर पूरी तरह फिट नहीं था। ऐसे में समाज के ताने उन्हें सुनने को मिलते थे। लेकिन पिता और परिवार चट्टान की तरह उन तानों के सामने खड़़े रहे और कभी भी सुहास का हौंसला नहीं टूटने दिया।
सुहास के पिता उन्हें सामान्य बच्चों की तरह देखते थे। सुहास का क्रिकेट प्रेम उनके पिता की ही देन है। परिवार ने उन्हें कभी नहीं रोका, जो मर्जी हुई सुहास ने उस गेम को खेला और पिता ने भी उनसे हमेशा जीत की उम्मीद की। पिता के नौकरी के दौरान जगह-जगह ट्रांसफर हुए। ऐसे में सुहास की पढा़ई शहर-शहर में घूमकर होती रही।
सुहास की शुरुआती पढ़ाई गांव में हुई तो वहीं सुरतकर शहर से उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑॅफ टैक्नोलॉजी से कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग पूरी की। साल 2005 में पिता की मृत्यु के बाद सुहास टूट गए थे।
सुहास ने बताया कि उनके जीवन में पिता का महत्वपूर्ण स्थान था। पिता की कमी खलती रही। उनका जाना उनके लिए बड़ा झटका था। इस बीच सुहास ने ठान लिया कि अब उन्हें सिविल सर्विस ज्वाइन करनी है। फिर क्या था सब छोड़कर उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरु की।
यूपीएससी की परीक्षा पास करन के बाद उनकी पोस्टिंग आगरा में हुई। फिर जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़, हाथरस, महाराजगंज, प्रयागराज और अब गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी बने। सुहास बड़े अधिकारी बन गए लेकिन वह इतने ही नहीं रुके।
जिस खेल को वे पहले शौक के तौर पर खेलते थे अब वह धीरे-धीरे उनके लिए जरुरत बन गया। सुहास अपने दफ्तर की थकान को मिटाने के लिए बैडमिंटन खेलते थे। लेकिन जब कुछ प्रतियोगिताओं में मेडल आने लगे तो फिर उन्होंने इसे प्रोफेशनल तरीके से खेलना शुरु कर दिया। 1016में उन्होंने इंटरनेशनल मैच खुलना शुुरु कर दिया। चीन में खेले गए बैडमिंटन टूर्नामेंट में सुहास अपना पहला मैच हार गए। लेकिन इस हार के साथ ही उन्हें जीत का फार्मूला भी मिल गया और उसके बाद जीत के साथ यह सफल अभी तक निरंतर जारी है।
पैरालंपिक की शुरुआत 24 अगस्त यानि आज से होने जा रही है। ये पांच सितंबर तक खेले जाएंगे। भारत के अभियान की शुरुआत 27 अगस्त को होगी। पहला मुकाबला तीरंदाजी में भारतीय महिला और पुरुष खिलाड़ी के साथ होगा।
सुहास का कहना है कि उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी प्रशासनिक सेवा की है। सुहास को काम के बाद रात को जो टाइम मिलता है, उसमें वह बैडमिंटन की प्रैक्टिस करते हैं। सुहास प्रतिदिन करीब 3 से 4 घंटे प्रैक्टिस कर रहे हैं। फिलहाल पैरालंपिक के लिए उन्होंने पूरी मेहनत की है।