Wednesday, October 2, 2024
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संस्कृति विवि में एमबीए छात्रों के शत-प्रतिशत प्लेसमेंट ने बढ़ाई साख


विशेषज्ञता वाले पाठ्यक्रमों में भी कराया जा रहा है एमबीए


मथुरा। संस्कृति स्कूल आफ मैनेजमेंट एंड कामर्स के डीन डा. सीपी वर्मा कहते हैं कि कामर्स और प्रबंधन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। कामर्स हमें व्यावसायिक शिक्षा की ओर अग्रसर करता है। विद्यार्थी के लिए बैंकिंग, इंश्योरेंस, फाइनेंस एंड एकाउंटिंग सेक्टर में कैरियर के द्वार खोलता है। यदि हम मैनेजमेंट की शिक्षा की बात करते हैं तो आज यह हर क्षेत्र में उपयोगी है। जैसे एक मैनेजमेंट का स्कालर असिस्टेंट मैनेजर से अपना कैरियर शुरू कर सीईओ पद तक पहुंच सकता है। इसके बीच में जनरल मैनेजर, एमडी जैसे पद हासिल कर सकता है। एकाउंट्स वाले विद्यार्थी अपनी शिक्षा पूरी करके कैशियर, एकाउटेंट, चार्टर्ड एकाउंटेंट, वित्तीय सलाहकार, प्लानिंग कमीशन मेंबर, इंडियन चैंबर्स आफ कामर्स, इंडस्ट्री में अपना भविष्य बना सकते हैं।


डा. वर्मा बताते हैं कि मैनेजमेंट हो या कामर्स स्कालर, कोविड -19 के बाद इनकी उपयोगिता बहुत बढ़ती जा रही है, वित्तीय समस्याओं, प्रबंधन में आई दिक्कतों से निकालने में इन स्कालर की बहुत बड़ी या महत्वपूर्ण भूमिका नजर आ रही है। आज सबसे बड़ा मुद्दा फाइनेंस क्राइसेस और लैस एवेबिलिटी आफ द रिसोर्सेज है, रिसोर्सेज का अधिकतम उपयोग कैसे कर सकते हैं, इनको बताने वाले ये ही स्कालर है। इसलिए इनकी भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। आने वाले समय में इन दोनों ही क्षेत्रों के विद्यार्थियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण एवं बहुउपयोगी साबित होने जा रही है।

उन्होंने बताया कि संस्कृति विवि ने अपने मैनेजमेंट एंड कामर्स स्कूल में इन दोनों ही कोर्सेज के पाठ्यक्रम में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए सराकारी, अर्ध सरकारी और निजी क्षेत्र की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा। हमारे यहां कामर्स में और प्रबंधन में वही शिक्षा दी जा रही है जो विद्यार्थियों को समय के साथ कौशलयुक्त बनाए और उनको तुरत रोजगार दिलाने में सहायक हो। हमारे यहां बी.काम. आनर्स, बी.काम., बीबीए, एमबीए इंटीग्रेटेड कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं। इसके साथ ही कामर्स और एमबीए में पीएचडी की भी सुविधा उपलब्ध है। हमारे यहां ह्यूमन रिसोर्सेज, मार्केटिंग, फाइनेंस, हेल्थकेयर, बिजनेस एनालिटिक जैसे विशेषज्ञता वाले एमबीए पाठ्यक्रम भी पढ़ाए जा रहे हैं।

डा. वर्मा बताते हैं कि संस्कृति विवि ने अनेक एमओयू द्वारा सीधे बहुराष्ट्रीय कंपनियों से रिश्ता बनाकर विद्यार्थियों के लिए नए अवसर सृजित किए हैं। इसी का परिणाम है कि यहां से कामर्स और एमबीए की डिग्री हासिल करने के बाद विद्यार्थियों को तुरंत ही नौकरियां मिल रही हैं। संस्कृति स्कूल आफ मैनेजमेंट एंड कामर्स से एमबीए करने वाले शत-प्रतिशत विद्यार्थी नौकरी पा चुके हैं। आज के इस चुनौतीपूर्ण समय में किसी विवि के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। इसी तरह से कामर्स के 91 प्रतिशत स्कालर के प्लेसमेंट हो चुके हैं।

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