पिछले डेढ़ साल से अधिक समय से दुनियाभर में कोरोना महामारी ने बड़ी संख्या में लोगों को अपनी चपेट में लिया है। इसके संक्रमण से बचने के लिए भारत सहित अधिकांश देशों में वैक्सीनेशन पर जोर दिया जा रहा है। जानकार इससे बचने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता बता रहे है, वह है वैक्सीनेशन लगवाने का। लेकिन बहुत से लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज लेली फिर भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं।
ऐसे में लोगों के मन में एक सवाल लगातार बना हुआ है कि आखिर वैक्सीन लगवाने वालों को कोरोना का संक्रमण क्यों हो रहा है और अगर लोग संक्रमित हो ही रहे हैं तो वैक्सीनेशन कराने से क्या लाभ है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि टीकाकरण के बाद भी लोगों का संक्रमित होना निश्चित ही चिंता का विषय है, इसके लिए कोरोना के नए वैरिएंट्स को मुख्य कारक माना जा सकता है। कोरोना के डेल्टा जैसे नए वैरिएंट्स शरीर में बनी प्रतिरक्षा को आसानी से चकमा देने में सफल हो जा रहे है, यही कारण है कि इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। तो क्या ऐसी जटिलताओं से मुकाबले के लिए वैक्सीन को सुरक्षात्मक नहीं माना जा सकता है? क्या टीकारण करने और न कराने वाले लोगों में कोई फर्क नहीं है? आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
डेल्टा वैरिएंट का प्रकोप जारी
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मौजूदा समय की बात करें या भारत में दूसरी लहर की, संक्रमण के मामले उन स्थानों पर अधिक देखने को मिल रहे हैं, जहां पर डेल्टा वैरिएंट का प्रकोप अधिक है। ऐसे में टीकाकरण करा चुके लोगों में भी संक्रमण के मामले देखे जा रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि जिन लोगों ने वैक्सीन की केवल एक डोज लगवाई है उनमें संक्रमण के मामले, पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों के मुकाबले कम देखे जा रहे हैं। दोनों डोज ले चुके लोगों में इसका खतरा फिर भी कम है।
नए वैरिएंटस प्रतिरक्षा को दे रहे हैं चकमा
विशेषज्ञ कहते हैं, किसी भी रोग के लिए बनी वैक्सीन को 100 फीसदी प्रभावी नहीं माना जा सकता है। कोविड-19 की रोकथाम के लिए तैयार किए गए टीके अध्ययनों में असरदार साबित हुए हैं। कोरोना की गंभीर बीमारी और इससे होने वाली मौत को रोकने में वैक्सीन को काफी असरदार माना जा रहा है, हालांकि बावजूद इसके टीकाकरण करा चुके लोगों में संक्रमण का खतरा हो सकता है। कोरोना की सभी वैक्सीन वायरस के मूल वैरिएंट को लक्षित करके तैयार की गई हैं। अब चूंकि म्यूटेशन के बाद मूल से हटकर कहीं अधिक संक्रामक वैरिएंट्स के मामले सामने आ रहे हैं, इस वजह से जिन लोगों ने टीकाकरण करा लिया है, वह भी संक्रमण की चपेट में आ जा रहे हैं।
तो क्या वैक्सीनेशन कराने से कोई लाभ नहीं है?
डॉक्टरों का कहना है कि वैक्सीनेशन करने वाले लोगों में भले ही संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं, पर इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि टीके अप्रभावी हैं। सभी लोगों को टीके की दोनों डोज जरूर लेनी चाहिए। अधिकांश टीके शरीर में मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित करने और रोगसूचक के जोखिम को कम करने में सक्षम हैं। इसके अलावा जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों खुराक ले ली हैं, उनमें संक्रमण के कारण होने वाली गंभीर जटिलताओं, अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु का जोखिम कम होता है। यही कारण है कि सभी लोगों को टीके जरूर लगवाने चाहिए।
सिर्फ वैक्सीन लगवाने से नहीं मिलेगी सुरक्षा
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वैक्सीन लगवाने के बाद खुद को कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित मान लेने की गलती बिल्कुल न करें। वैक्सीन सिर्फ बीमारी के खतरे को कम कर सकती है, ऐसे में वैक्सीनेशन के साथ-साथ कोरोना से बचाव के सभी उपायों को जरूर प्रयोग में लाते रहना चाहिए। बाहर जाते समय नियमित रूप से अच्छे मास्क पहनना, सामाजिक दूरी का पालन करना और हाथों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना सभी के लिए जरूरी है। इसमें की गई कोई भी चूक आपको संक्रमण का शिकार बना सकती है।