Saturday, November 23, 2024
Homeडिवाइन (आध्यात्म की ओर)बालकृष्ण के अवतरण पर झूम उठा नंदगांव, द्वापरयुगीन परंम्पराएं हुई जीवंत

बालकृष्ण के अवतरण पर झूम उठा नंदगांव, द्वापरयुगीन परंम्पराएं हुई जीवंत

  • आनंद हू आय रहयौ आनंद हू छाय रहयौ, आनंद हू गाय रहयौ जै जै नौनिहाल की नन्दीश्वर पर्वत पर रही नंदमहोत्सव की धूम

नंदगांव। मंगलवार को नंदबाबा का गांव बाल कृष्ण के अवतरण की खुशी से झूम उठा। चारों ओर एक ही बोल गूंज रहे हैं नंद घर आनंद भयो जै कन्हैंया लाल की। जिसे देखो हर कोई नंदभवन की ओर ंिखंचा चला जा रहा था। बिना एक पल गंवाए नंदभवन पहुंचना चाहता था। हर कोई धोती, बगलबंदी, पीताम्बर पहन माथे पर चंदन लगा नंदोत्सव की मस्ती में मस्त होना चाहता था। 56 भोग की महक से नंद का आंगन महक रहा था। यह नजारा था बालकृष्ण के जन्मोत्सव पर नन्दभवन का। जहां बस उनके अवतरण की खुशी में लोग झूम रहे थे।

मंगलवार करीब 10 बजे बरसाना के गोप नंदभवन पहुंचे। बृषभान बाबा के गांव से आए गोपों का नंदगांव के गोपों ने भव्य स्वागत किया। नंदभवन के जगमोहन में नंदगांव बरसाना के गोपों द्वारा संयुक्त समाज गायन कर पहले तो नंद यशोदा को फिर एक दूसरे को कृष्ण जन्म की बधाई दीं।

समाज गायन का दौर करीब दो घंटे तक चला। इस दौरान रंगीली आज बाजै अरी हेरी मां, बाजे बधाइयां बे सेइयां नंद दे दरबार, सुख बरसै री हेली जसुमति महल में… का गायन किया गया। हम तौ यारो लेते नहीं हीरा मोती लाल हम फरजंद इश्क घूमें हैं… बडे़ मस्त हाल सुनते ही लोगों के मुख से वाह वाह की गूंज निकल पडी। हर कोई समाजियों के गायन से प्रभावित दिखा। जो जहां था थिरकने लगा। कान्हा के उत्सव के इन दुर्लभ क्षणों को मोबाइल में कैद करने लगा। इसके बाद नंदमहल में ही प्रतीकात्मक मल्ल युद्ध का शुभारम्भ हुआ।

नंदभवन के सेवायत एक गोस्वामी ने कमर से फेंटा निकाल हवा में लहराते हुए युद्ध की चुनौंती दी। चुनौंती स्वीकारते हुए दूसरे गोस्वामी ने कृष्ण बलराम को प्रणाम कर कुश्ती प्रारम्भ की। बराबरी पर छोडते हुए दोनों ने एक दूसरे से क्षमा याचना मांगी। अन्य बालकों और बुजुर्गां ने भी मल्ल युद्ध किया।

इसके बाद नंदगांव बरसाना के लोगों का हास परिहास शुरू हुआ। दूर दराज से श्रद्धालुओं ने इसका जमकर आनंद लिया। बरसाना के गोप नंद के जमाई की जय बोल रहे थे तो नंदगांव के लोग बृषभानु के जमाई की जय। नंदभवन जन्म के उल्लास में डूबा था।

एक गोस्वामी युवक (भांड स्वरूप) करीब 15 फुट ऊंचे बांस पर चढकर कृष्ण बलराम की ओर मुख कर तुम उदार सरिस देत न द्रव्य समार, ढांढी हूं कुल चंद कौ आयौ नंद दरबार का गायन कर बधाई देता है। कार्यक्रम के अंत में शंकर लीला का आयोजन किया जाता है। शंकर जी बालकृष्ण को जी भरकर निहारते हैं। मोर पंखों से कृष्ण की नजर उतारते हैं।

नंदोत्सव के दौरान कान्हा की छीछी (दही और हल्दी का मिश्रण) लेने के लिए भक्तों की होड़ लग जाती है। जन्मोत्सव के दौरान सेवायतों द्वारा खिलौंने, टॉफी, वस्त्र आदि उपहार लुटाए गए। फरुआ और पंजीरी प्रसाद वितरण किया गया।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments