काबुल। तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है। अब तालिबान वहां सरकार बनाने की कोशिशों में जुटा है, लेकिन पंजशीर पर अब भी उसके खिलाफ तालिबान विरोधियों से जंग जारी है। अफगानिस्तान के कार्यकारी राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह भी तालिबान को लगातार चुनौती दे रहे हैं। इस बीच उन्होंने मानवीय संकट का हवाला देते हुए संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखकर मदद मांगी है। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों से कट्टरपंथियों द्वारा किए गए युद्ध अपराधों को खत्म करने के लिए अपने संसाधनों को तुरंत जुटाने के लिए कहा है।
पंजशीर में तालिबान और सुरक्षा बलों के बीच कड़ी जंग देखने को मिल रही है। तालिबान ने पंजशीर प्रांत में चल रही जंग में बढ़त बनाने की खुशी में शुक्रवार को जश्न के तौर पर काबुल में फायरिंग की थी। इसमें 17 लोग मारे गए थे और 41 अन्य घायल हुए थे। पंजशीर अब भी गैर तालिबानियों के नियंत्रण में है।
संयुक्त राष्ट्र को लिखे एक पत्र में अमरुल्लाह सालेह ने कहा है कि काबुल और अन्य बड़े शहरों के पतन के बाद पंजशीर पहुंचे स्थानीय महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और 10,000 आईडीपी सहित लगभग 2,50,000 लोग इन घाटियों के अंदर फंस गए हैं। वे इस जंग के दुष्परिणामों से गुजर रहे हैं। अगर इस स्थिति पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो बड़े पैमाने पर भुखमरी और नरसंहार का खतरा है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद मांगते हुए सालेह ने कहा, ‘दो दशकों के संघर्ष, बार-बार होने वाली प्राकृतिक आपदाएं, बीमारी का प्रकोप और कोविड-19 महामारी व तालिबान द्वारा हाल ही में देश के अधिकांश हिस्से पर अधिग्रहण ने अफगानिस्तान को दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकट में डाल दिया है। हम संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पंजशीर प्रांत में तालिबान के हमले को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने का आह्वान करते हैं।
तालिबान से लड़ रहे लड़ाकों के मुख्यालय के सूत्रों की मानें तो खाद्य आपूर्ति के मामले में कटौती की गई है और तालिबान अस्पताल की आपातकालीन सेवाओं के लिए सभी चिकित्सा सहायता भी रोक रहा है। इस क्षेत्र के तालिबान के कब्जे में आने की खबरों के बीच सालेह ने पहले बताया था कि वह घाटी में हैं और रिपोर्ट के अनुसार देश छोड़कर नहीं गए हैं।