Sunday, November 24, 2024
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जीएलए के प्रबंधन संकाय में व्यावसायिक कौशल को बढ़ाने पर जोर


-जीएलए के प्रबंधन संकाय में व्यासायिक कौशल कार्यक्रम में जुटे विषय-विशेषज्ञ


मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट में एक दिवसीय ऑनलाइन व्यावसायिक विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। “प्रभावी शिक्षा, शिक्षाशास्त्र ज्ञान और व्यावसायिक कौशल“ पर आयोजित कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को बदलती शिक्षा प्रणाली के हिसाब से किस तरह से अपने पठ्न-पाठ्न की प्रक्रिया में परिवर्तन लाना चाहिए के बारे में जानकारी देना था।


कार्यक्रम का शुभारम्भ डीन कंसलटेंसी एवं प्रबंधन संकाय (यूजी) के विभागाध्यक्ष प्रो. सोमेश धमीजा और आईबीएम यूजी की एसोसिएट विभागाध्यक्ष प्रो. अरुणा धमीजा ने किया। कोरेल टेक्नोलॉजी बैंगलुरू से कार्यक्रम में रिसोर्स पर्सन आलोक पांडे ने शिक्षा 4.0 के बारे में जानकारी देते हुए सीखने की प्रक्रिया में स्पष्ट रूप से कौशल अपनाने और बदलाव के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को दी जाने वाली पठ्न-पाठन की प्रक्रिया में बदलती परिस्थतियों के अनुरूप शिक्षा देने की आवश्यकता है। विद्यार्थियों की उपयोगिताओं पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि विद्यार्थी क्या सीखना चाहते हैं, विद्यार्थियों की स्किल्स कैसे बढ़ाई जाय और उनके अनुभवों को कैसे एकीकृत किया जाए।

कर्ल एनालिटिक ग्रुप बैंगलुरू की एचआर मैनेजर एडवोकेट जया भव्या ने विभिन्न पीढ़ियों को समझाने और शिक्षण के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने विद्यार्थियों की कौशलता को बढ़ाने और पढ़ाई के बाद मिलने वाली डिग्री की प्रासंगिकता पर चर्चा की। नैनीताल बैंक के पूर्व वाइस प्रेसीडेंट एवं आम्रपाली गु्रप हल्द्वानी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीप चंद्र ने शिक्षकों के लिए शिक्षण और चुनौतियों में भावनाओं के बारे में चर्चा की। उन्होंने यह भी चर्चा की कि कैसे हाइब्रिड लर्निंग आमने-सामने और ऑनलाइन शिक्षण को एक समेकित (एकीकृत) अनुभव में जोड़ती है।

हाइब्रिड मॉडल अच्छी तरह से काम करता है, जिससे इसके दो प्रारूप एक-दूसरे के हिसाब से शिक्षण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का कार्य करते हैं, जैसे कि संज्ञानात्मक लचीलापन, डिजिटल साक्षरता और कम्प्यूटेशनल सोच, निर्णय लेना, भावनात्मक, सामाजिक बुद्धिमत्ता, रचनात्मकता और नवीनीकरण। उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षकों को जीवन भर सीखने वाला कैसे होना चाहिए।

डीन कंसलटेंसी एवं विभागाध्यक्ष यूजी प्रो. सोमेश धमीजा ने बताया कि इस कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों और अनुसंधान व्यक्तियों ने भाग लिया। सभी सत्र अत्यधिक जानकारीपूर्ण और रोचक थे और प्रतिभागियों ने उन्हें अपने समग्र विकास के लिए बहुत उपयोगी पाया। प्रो. धमीजा ने सफलतम आयोजन पर विभागीय प्रोफेसरों की सराहना की।

कार्यक्रम का संचालन डा. पवन कौल ने किया। इस अवसर पर उन्होंने डा. कपिल बंसल, डा. अमित कुमार, डा. आनंद कुमार गुप्ता, डा. गरिमा सेंगर, डा. कुणाल सिन्हा, डा. प्रियांक गुप्ता, देविका अग्रवाल और शशांक काटपाल को भविष्य में भी इस तरह के आयोजन करने के लिए प्रेरित किया।

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