कोरोना काल में बाधित आस्था का सब्र टूटा तो श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा ब्रज वसुंधरा के चरण चूमने।
ब्रज के परम आराध्य पर्वत कनकाचल व आदिबद्री के खनन मुक्त होने के अवसर पर इस वर्ष की ब्रज यात्रा विजय उत्सव के रूप में निकाली जाएगी
बरसाना एक के बाद एक परिस्थिति मानों भक्ति रस के प्रवाह को बलात अवरुद्ध कर ही देगी परंतु भक्ति पूरित लालसा पिपासा व श्रद्धा युक्त दृढ़ता की दीवार को प्रकृति का प्रकोप अखण्ड वर्षा के रूप में हिला नहीं सका।प्रातः काल ब्राह्म मुहूर्त में ब्रज के विरक्त संत पूज्य पद्मश्री श्री रमेश बाबा ने हजारों भक्तों को संकल्प दिलाकर ब्रज की विश्व प्रसिद्ध 84 कोस यात्रा को रवाना किया। यह यात्रा ब्रज का ही नहीं हमारे राष्ट्र का गौरव है। 1988 से प्रति वर्ष चलने बाली यह यात्रा सभी अमीर गरीब भक्तों का ऐसा समागम है जिसमें किसी भी प्रकार का कोई भी शुल्क नही लिया जाता है। हर प्रदेश , हर भाषा, हर जाति की विविधता के चलते हुए भी एक लघु भारत की झांकी यहां प्रस्तुत होती है।
कोरोना के प्रहार के पश्चात व प्रशासनिक मांनदंडो के चलते पदयात्रियों की संख्या 15 20 हजार न होकर सीमित ही दिखाई पड़ रही है, व साथ ही यात्रा प्रबंधन द्वारा कोरोना व अन्य बीमारियों के रोकथाम हेतु सावधानियां का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। मान मन्दिर के कार्यकारी अध्यक्ष राधा कान्त शास्त्री ने बताया कि आज यात्रियों ने मान गढ़ ,दान गढ़,भानु गढ़ विलास गढ़ व महेश्वरी सर दोहिनी कुण्ड माताजी गो शाला के दर्शन किये। यात्रा में सतत हरिनाम संकीर्तन व ब्रज देवियों का नृत्य यात्रियों को अपार सुख व शांति प्रदान करता है। उन्होंने यह भी बताया कि ब्रज के परम आराध्य पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को खनन मुक्त कर संरक्षित वन घोषित कराने के लिए लंबे समय से चल रहे संघर्ष के उपरांत राजस्थान सरकार द्वारा दोनों पर्वतों को संरक्षित वन घोषित करने का निर्णय ले लिया गया है एवं अति शीघ्र ही दोनों पर्वत पूर्ण रूप से खनन मुक्त हो जाएंगे।
इस अति शुभ घटना के चलते इस बार की वार्षिक ब्रज 84 कोस यात्रा एक विजय उत्सव के रूप में भी निकाली जाएगी क्योंकि ब्रजवासियों व साधु संतों द्वारा एक लंबे संघर्ष के बाद ब्रज के महत्वपूर्ण पर्वत कनकाचल व आदिबद्री अब पूर्णता सुरक्षित व सरंक्षित होंगे। विगत 34 वर्षों से जारी राधा रानी ब्रज 84 कोस यात्रा, भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है एवं इस यात्रा में विश्व भर के लोग ब्रजभूमि के दर्शन कर अपने आप को कृतकृत्य अनुभव करते हैं। आज से 34 वर्ष पूर्व ब्रज के विरक्त संत परम पूजनीय रमेश बाबा महाराज की अगुवाई में चौरासी कोस की यह यात्रा प्रारंभ की गई थी जो अब तक निर्बाध है वह सुचारू रूप से चल रही है व जिसमें देश विदेश के प्रतिवर्ष 15 से 20 हजार यात्री सम्मिलित होते हैं ।
इस यात्रा की मुख्य विशेषता यह है कि यहां किसी भी यात्री से कोई भी सेवा हेतु शुल्क नहीं लिया जाता है व समस्त यात्रियों के लिए भोजन, अल्पाहार , चिकित्सा आदि व्यवस्था पूर्णता निशुल्क है। ब्रज के संत रमेश बाबा महाराज के सान्निध्य में विश्व प्रसिद्ध इस ब्रज यात्रा की संचालन समिति के अध्यक्ष रामजीलाल शास्त्री, संयोजक राधाकान्त शास्त्री व सह संयोजक ब्रजदास एवं नरसिंह दास बाबा है। सह संयोजक ब्रजदास ने बताया कि करोना व अन्य बीमारियों की प्रशासनिक प्रतिबद्धता के कारण इस वर्ष यह यात्रा 40 दिवस के स्थान पर 30 दिवस की होगी जिसमें ब्रज 84 कोस की परिक्रमा करते हुए ब्रज के समस्त तीर्थ स्थलों वह लीलास्थलीयों का दर्शन किया जाएगा । उन्होंने बताया कि 20 अक्तूबर तक का पड़ाव बरसाना में है इसके बाद यात्रा का पड़ाव नंद गांव में डाला जाएगा । इस अवसर पर हजारों ब्रज यात्रियों को साधु संतों के अलावा प्रमुख रूप से मान मंदिर के अध्यक्ष श्री रामजीलाल शास्त्री, महेश शास्त्री, सुरेश शास्त्री, राजकुमार शास्त्री, बृजराज बाबा, साध्वी गौरी, साध्वी श्रीजी आदि उपस्थित रहे।