Sunday, September 29, 2024
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पुनर्निर्माण की शक्ति हमेशा विनाश की शक्ति से अधिक प्रबल: आचार्य पुंडरीक

वृंदावन। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का जो भव्य निर्माण हो रहा,ये अत्यंत सराहनीय कार्य है। आद्य शंकराचार्य से लेकर के अहिल्याबाई व बड़े-बड़े आचार्य महंत भक्ति काल में अनेकों स्थानों के पुनर्जीवित और धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्थानों को पुनर्जीवित करने के अनंत प्रयास में भारत के इतिहास का एक सर्वोत्तम के अंग रहे।

यहाँ स्थानों के निर्माण और स्थानों के संरक्षण की पुनस्र्थापना की एक परंपरा है। एक समय यह भी आया था कि यहाँ की आस्था को ध्वस्त करने का वृहद प्रयास हुआ था और उसके प्रति सांस्कृतिक आहत पहुँचाने के अनेक प्रयासों के पश्चात भी ये भारत भारतीय वैदिक सनातन मनीषा का प्रभाव है कि वो सदा व्याप्त रही और समय-समय पर भगवान अपने अंशों के माध्यम से अपने स्थानों को पुनस्र्थापित और पुनर्जीवित करने का प्रयास किए। अलग-अलग संतो के रूप में अलग-अलग निमित्त बनाकर के इतिहास इस बात का बहुत बड़ा गवाह है।

उसी क्रम में माननीय प्रधानमंत्री और वर्तमान में सारे अधिकारियों के द्वारा एक अद्वितीय प्रयासों का प्रारंभ हुआ है। जिसमें बड़े-बड़े आचार्य महंत संतो के द्वारा किए जाने वाले कृतियों के बड़े बेड़े को उन्होंने उठाया है। राजनीतिक पद पर होते हुए भी वे एक दिव्य सांस्कृतिक धार्मिक कार्यक्रम संपन्न कर रहे हैं। जिसमें पिछले वर्ष अयोध्या के मंदिर का पुनस्र्थापन हुआ और इस वर्ष काशी विश्वनाथ के मंदिर के दिव्य प्रांगण का यह दिव्य मंगल उद्घाटन हो रहा है।

पुनर्निर्माण की शक्ति हमेशा विनाश की शक्ति से अधिक प्रबल होती है। दृढ़ विश्वास है कि धीरे-धीरे वो भारत जहाँ का कंकड़ कंकड़ शंकर है, जिसमें सब जगह व्याप्त आध्यात्मिक संचेतना का विस्तृतीकरण नवीनीकरण पुनस्र्थापन होता रहेगा और भारत कि मनीषा सलामत रहे।

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