Sunday, September 29, 2024
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देश हर प्रकार की मिसाइल बनाने में सक्षम: डॉ. जी सतीष रेड्डी


मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के दसवें दीक्षांत समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सचिव एवं डिफेंस रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन चेयरमैन डॉ. जी सतीष रेड्डी न कहा कि देश की रक्षा जरूरतों के अनुरूप हर प्रकार की मिसाइल बनाने में देश सक्षम है। आज देश रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर हुआ है। इसके लिए कई विश्वविद्यालयों में होने वाले अनुसंधान का भी सहयोग मिल रहा है। आने वाले दिनों में भारत उच्च तकनीक के रक्षा उपकरण दुनिया के देशों को निर्यात करने में भी अग्रणी होगा।


उन्होंने उपाधि हासिल करने वाले छात्रों से कहा कि देश में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ है। उन्होंने कहा कि आज हम दुनिया से तकनीक के हर क्षेत्र में मुकाबला करने में सक्षम हैं। देश की जरूरतों को देखते हुए आज विश्वविद्यालयों में और अधिक अनुसंधान पर जोर देने की जरूरत है। अनुसंधान से नए आविष्कार सामने आते हैं। जो देश के लिए जरूरी है। उन्होंने देश के युवाओं से कहा कि तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ अनुसंधान पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की नीतियों के अनुसार आज रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन विशेष रूप से नई तकनीक विकसित करने में अपना पूर्ण योगदान दे रहा है।

लम्बी दूरी की गाइडेड बॉम्ब बनाने में निभाई है भूमिका
बता दें कि एयरोस्पेस वैज्ञानिकों में से एक डॉ रेड्डी एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के महानिदेशक भी हैं। इन्होंने चौथी पीढ़ी के हल्के लडाकू जहाज तेजस विकसित किया है। इसके अलावा इन्होंने अग्नि, पृथ्वी, आकाश मिसाइलें इनकी देखरेख में बनाई गई है। मिसाइलों और सामरिक प्रणालियों के महानिदेशक के रूप में इन्होंने बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, जमीन से हवा में मारक, हवा से जमीन पर मारक, हवा से हवा में मारक और लम्बी दूरी की गाइडेड बॉम्ब वायु रक्षा प्रणालियों बीवीआरएएम अस्त्र, आकाश, दुनिया की सबसे लंबी दूरी की बंदूक एटीएजीएस, एंटी-रेडिएशन मिसाइल, स्मार्ट बम और मिसाइल आदि विकसित करने में भूमिका निभाई है।

रिसर्चर रिसर्च करें, सरकार सहायता के लिए तैयार
जी सतीष रेड्डी ने कहा कि सरकार कई शोधों पर स्कीम ला रही है और 10 करोड़ तक की आर्थिक सहायता देने के लिए भी तैयार है। देश के विकास में रिसर्चरों को रिसर्च करने की आवश्यकता है। सरकार हर समय, हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है। हालांकि रिसर्चरों/वैज्ञानिकों की वजह से ही आज भारत देश अन्य देशों को रक्षा उपकरण देने में सक्षम हुआ है। हमारे भारत देश के लिए वैज्ञानिक आये दिन नई खोजों को जन्म दे रहे हैं। इन्हीं खोजो बढ़ावा देने के लिए सरकार सहायता भी दे रही है।

एपीजे अब्दुल कलाम के शब्दों को याद दिलाया
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने छात्रों को पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के शब्दों को याद दिलाया और अपने सभी सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करने का आह्वान किया। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे डीआरडीओ ने अन्य चीजों के अलावा अपनी खुद की सोनिक मिसाइलें और युद्धक टैंक विकसित किए हैं।

स्टार्टअप को बढ़ावा दे रहा देश
डीआरडीओ के चेयरमैन ने कहा कि हमें अब देष में नई षिक्षा नीति के तहत कार्य करना है। आज डीआरडीओ ने 10 सेंटर एक्सीलेंस बनाये हैं। अब हम 300 से अधिक संस्थानों के साथ रिसर्च एंड डेवलपमेंअ एक्टीविटीज कर रहे हैं। आज कई वर्श पहले देष में बहुत कम स्टार्टअप थे। आज 60 हजार से अधिक स्टार्टअप हैं। यानि देष स्टार्टअप को बढ़ावा देने की ओर अग्रसर है। विभिन्न संस्थानों में भी स्टार्टअप इंक्यूबेटर केन्द्र खोले जाने की सरकार ने घोशणा की है।

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