-माइंस में मजदूरों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देगी जीएलए की ‘हेल्थ बैंड फॉर माइंस वर्कर‘ रिसर्च
मथुरा। माइंस (खदानों) में कार्य करने वाले मजदूरों के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के पॉलीटेक्निक संस्थान के प्रोफेसरों ने आधुनिक रिसर्च कर ‘हेल्थ बैंड फॉर माइंस वर्कर‘ डिवाइस तैयार की है। इस डिवाइस के माध्यम से मजदूरों की बीमारी के बारे में सुपरवाइजर को संदेष के माध्यम से जानकारी मिल सकेगी।
विदित रहे कि गहरी खदानों में कार्य करने वाले मजदूर के उच्च रक्तचाप, गर्मी की थकावट, रोधगलन होने के कारण गंभीर समस्यएं पैदा होती हैं। रोजगार पर कोई संकट न आये इस कारण मजदूर किसी स्वास्थ्य बीमारी के बारे में अपने सपुरवाइजर को बताने में हिचकिचाता है और मजदूर की जान की बाजी लगा बैठता है।
कोयला, ग्रेनाइट और रॉक खनन पर सतही खनन का अध्ययन करते हुए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के प्रोफेसरों ने एक डिवाइस का अविष्कार किया है, जो कि सांस लेने एवं अन्य बीमारियों से संबंधित स्वास्थ्य जोखिम का विश्लेषण करता है। डीन रिसोर्स जेनरेशन एंड प्लानिंग प्रो. दिवाकर भारद्वाज के दिशा निर्देशन में लेक्चरर रोहिणी शर्मा और आदित्य गोस्वामी ने “हेल्थ बैंड फोर माइन्स वर्कर” को कई वर्शों की रिसर्च के बाद तैयार किया है।
लेक्चर रोहिणी शर्मा और आदित्य गोस्वामी ने बताया कि बताया कि यह डिवाइस एक घड़ी के समान है, जो कि आराम से कलाई में बांधी जा सकेगी। इस डिवाइस को तैयार करने के लिए विशेष तरीके से तैयार किए हुए ऑप्टिकल सेंसर्स का प्रयोग किया गया है। जिसके माध्यम से शरीर में होने वाले विभिन्न गतिविधियों रक्तचाप, हृदय गति, ऑक्सीजन लेवल को मापेंगे। यह बैंड सुपरवाइजर के कम्प्यूटर से लिंक की जायेगी। लिंक होने पर किसी भी मजदूर के स्वास्थ्य खराब होने सीध अपडेट देगी।
संस्थान के शिक्षकों की उपलब्धि पर डीन रिसोर्स जेनरेशन एंड प्लानिंग प्रो. दिवाकर भारद्वाज ने बताया कि खनन में सबसे बड़े मुद्दों में से एक स्वास्थ्य की समस्या बताई गई है। आमतौर पर एक मजदूर बीमारी या खराब स्वास्थ्य के प्रति जागृत नहीं होता है, हालांकि यदि पता भी होता है तो वह अपनी नौकरी खोने की चिंता के कारण बीमारी की खबर देने से डरता है। ये अविष्कार माइंस वर्कर के लिए एक आशीर्वाद की तरह साबित होगा और इसका प्रपोजल आगे भविष्य में डायरेक्टर जनरल ऑफ माइन्स सेफ्टी को दिया जाएगा। जिससे पूरे भारत में मजदूर के लिए इसे इस्तमाल किया जा सके। डीन रिसर्च प्रो. अनिरूद्ध प्रधान, एसोसिएट डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा ने कहा कि पॉलीटेक्निक के षिक्षकों द्वारा किया रिसर्च माइंस वर्करों के बेहतर साबित होगा।