जी.एल. बजाज में प्रदूषण नियंत्रण पर हुई कार्यशाला
मथुरा। जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा में सोमवार को प्रदूषण नियंत्रण पर आनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें वक्ताओं ने माना कि दुनिया में प्रदूषण का स्तर जिस तेजी से भयावह रूप ले रहा है, उस पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण व अन्य संस्थाओं के नियमों का पालन किया जाए नहीं तो जीवन संकट में पड़ जाएगा।
प्रो. नीता अवस्थी, निदेशक जीएल बजाज ने कहा कि अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी के तौर पर हर व्यक्ति को पेड़-पौधे लगाने की पहल करनी चाहिए। साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक की जगह झोला का उपयोग, एलईडी बल्ब का प्रयोग अधिक से अधिक, रिसाइकलिंग, अपनी स्टीज स्ट्रा तथा चम्मच गाड़ी में रखना चाहिए तथा गीला-सूखा कूड़ा अलग करना ये कुछ काम हमें स्वयं करने चाहिए। घर में ही गीले कूड़े से खाद व किचन गैस के उत्पादन के प्रयास करें।
प्रो. तानिया बेरा ने कहा कि भारत में बढ़ते प्रदूषण का स्तर एक चिन्ता का विषय है हमारा देश जोकि विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर है, यहां प्रदूषण नियंत्रण के उपाय मुंह चिढ़ाते दिख रहे हैं। यह चिन्ता की बात है कि हमारे देश के करीब एक दर्जन से अधिक शहर विश्व के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों की सूची में गिने जाते हैं। देश में नदियों के प्रदूषण स्तर में कोई सुधार नहीं दिख रहा, हालांकि नदियों की सफाई हेतु कार्य योजना व कार्यक्रम बनाये गये हैं परन्तु काम होता नहीं दिख रहा है।
प्रो. निशान्त कुमार ने कहा कि प्रदूषण के वास्तविक कारणों को खोजा जाना उतना ही आवश्यक है, जितना उसे कम करने के उपाय खोजना। कार्यशाला में पर्यावरण संरक्षण से जुड़े नियमों, दूषित जल की रीसाइकलिंग, बायोमेडिकल वेस्ट, सलिड वेस्ट प्रबंधन आदि विषयों पर भी वक्ताओं ने प्रकाश डाला। कार्यशाला में परिचयात्मक भाषण के बाद एक लघु वृत्तचित्र दिखाया गया जोकि भोपाल गैस त्रासदी से सम्बन्धित था। इस घटना का कॉन्सेप्ट नोट भी साझा किया गया। कार्यशाला में प्रत्येक प्रतिभागी ने पीपीटी और पोस्टरों के माध्यम से अपनी-अपनी अवधारणा तथा विचारों को साझा किया। कार्यक्रम का संचालन सह-समन्वयक निशान्त कुमार, डिपार्टमेंट सिविल इंजीनियरिंग तथा आर्किटेक्ट तानिया बेरा ने किया। इस अवसर पर डॉ. रमाकान्त, प्रो. उदयवीर सिंह आदि उपस्थित रहे।
सुरक्षित भविष्य के लिए सुरक्षित पर्यावरण जरूरी
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