अलीगढ़। रेलवे मजिस्ट्रेट ऐश्वर्य प्रताप सिंह की कोर्ट ने आरपीएफ इटावा के थाने में दर्ज चोरी के 44 साल पुराने मामले में दोषी ठहराए गए दो आरोपियों को सजा सुनाई है। सजा तो सुनाई है मगर आरोपियों को जेल नहीं भेजा जायेगा। अपराधियों की उम्र को देखते हुए 6 महिने की प्रोविजन सजा सुनाई गई है।
जानकारी के लिए बतादें खास बात यह है कि दोषी समाज में रह सकता हैं मगर शर्तानुसार वह फिर अपराध नहीं करेंगे। यदि शर्त का पालन नहीं होगा तो सजा भुगतनी होगी। अभियोजन अधिकारी आरके जायसवाल ने बताया कि वर्ष 1978 में इटावा आरपीएफ थाना क्षेत्र में मालगाड़ी से डाईनुमा बेल्ट चोरी हुई थी। इसमें ओमपाल भटनागर निवासी शहादरा दिल्ली और अशोक निवासी आवास विकास, आगरा को पकड़ा गया था।
दोनों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई। निचली अदालत ने वर्ष 1983 में दोनों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया। अभियोजन ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुए प्रकरण में विधि अनुसार उसे ट्रायल के लिए वापस भेज दिया।
कोर्ट में इस प्रकरण की पत्रावली का अवलोकन करने के बाद रेलवे मजिस्ट्रेट ऐश्वर्य प्रताप सिंह ने दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए। दोनों पक्ष की गवाही व साक्ष्यों के आधार पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने साक्ष्यों के आधार पर दोनों को दोषी ठहरा दिया। दोनों आरोपियों ओमपाल व अशोक की उम्र 70-70 साल होने पर रेलवे मजिस्ट्रेट ने उन्हें छह माह की नेक चलनी यानी प्रोविजन की सजा से दंडित किया है।