भाजपा की चार राज्यों में जीत अद्भुत है। जनादेश ने साफ कर दिया कि जातीय राजनीति से उठकर बड़ी लकीर खींचनी होगी। गरीबों के हक की फिक्र करनी ही पड़ेगी। उत्तर प्रदेश में इसीलिए जातीय समीकरण दरक गए। देश की दिशा तय करने वाला यह जनादेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चारों भाजपा सरकारों के कामकाज पर मुहर है। वहीं, पंजाब में आप की जीत नशा, माइनिंग, शराब, केबल और ट्रांसपोर्ट माफिया के खिलाफ मतदाताओं के गुस्से का इजहार है। इन नतीजों ने बता दिया 2024 में लोकसभा चुनाव में कैसी तस्वीर हो सकती है।
अगले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल और ब्रांड मोदी के लिए लिटमस टेस्ट माने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने भगवा होली खेली। चार राज्यों यूपी, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा के हाथ गुलाल तो सपा, बसपा और कांग्रेस को मलाल हाथ लगा। बृहस्पतिवार को ईवीएम खुलीं तो यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में भाजपा गठबंधन ने न सिर्फ 273 सीटें जीतीं, बल्कि ऐतिहासिक जीत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हाने का रिकॉर्ड भी रच दिया। सपा-रालोद गठबंधन को सीटें भले 125 मिलीं लेकिन भाजपा के लिए वे कोई चुनौती नहीं बन सके। बसपा और कांग्रेस की तो दुर्गति हो गई।
भाजपा ने उत्तराखंड में भी इतिहास रचा, जहां सत्ता पर लगातार दूसरी बार काबिज होने वाली वह पहली पार्टी बन गई। उसे 47 सीटें मिली हैं। सुदूर उत्तर पूर्व मणिपुर में और पश्चिमी तटीय राज्य गोवा में भी पार्टी ने न सिर्फ अपनी सत्ता कायम रखी, बल्कि पिछली बार से भी बेहतर प्रदर्शन किया। हालांकि, इस भगवा आंधी को पंजाब में आम आदमी पार्टी ने थाम लिया जिसने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करते हुए 92 सीटें जीतीं।
यूपी में तीसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
325 सीटें मिली थीं एनडीए को पिछले चुनाव में, इनमें से 312 भाजपा की थीं
221 सीटें जीती थीं भाजपा ने 1991 में राम लहर में
जीत का चौका: पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव से प्रदेश में भाजपा को शानदार जीत मिली। पार्टी ने 2017 में विधानसभा चुनाव, फिर 2019 में लोकसभा का चुनाव जीता। वर्ष 2022 में जीत का चौका लगाया है।
एक लाख से अधिक मतों से जीते योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर शहर से सपा की सुभावती शुक्ला को एक लाख से अधिक मतों से हराया। योगी को 1,65,499 वोट मिले। सपा प्रत्याशी सुभावती को 62,109 वोट मिले।
गदगद मोदी बोले…जाति के चश्मे से देखने वालों को सबक
जो राजनीतिक ज्ञानी यूपी को जाति के चश्मे से देखते थे और समझते थे, ये नतीजे उनके लिए सबक हैं। यूपी की जनता अब सिर्फ विकास देखती है। यूपी ने कई बार देश को प्रधानमंत्री दिए हैं। यह पहला मौका है, जब एक मुख्यमंत्री को दोबारा मौका दिया। जब तक हर गरीब को उसका अधिकार नहीं दिला देता, तब तक रुकूंगा नहीं।
इसलिए जीते-हारे
भाजपा : मजबूत संगठन के चलते विपक्षी दलों पर भारी पड़ी। गरीबों को आवास, निशुल्क राशन व सुरक्षा के माहौल के चलते जनता का भरोसा बरकरार रहा।
सपा : दल-बदलुओं को तरजीह। टिकट वितरण में देरी, उम्मीदवारों व संगठन में समन्वय का अभाव। घोषणा पत्र के वादों को जनता तक पहुंचाने में असफल।
बसपा : पार्टी की कमजोर रणनीति के साथ प्रचार भी कमजोर रहा। मैदान में प्रत्याशी बहुत कम नजर आए। अधिकतर दिग्गज पार्टी छोड़ गए।
कांग्रेस : कमजोर संगठन ने स्थिति और खराब की। सिर्फ चुनाव के समय सक्रियता लोगों को रास नहीं आई। शीर्ष स्तर तक बात पहुंचाना बड़ी चुनौती।
उपमुख्यमंत्री हारे
सरकार के 47 मंत्रियों में से 39 को जीत मिली। इनमें सतीश महाना, रमापति शास्त्री, आशुतोष टंडन, श्रीकांत शर्मा जैसे मंत्री शामिल हैं। हालांकि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री सतीश द्विवेदी समेत 8 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा। सिराथू में केशव को सपा प्रत्याशी पल्लवी पटेल ने हराकर चौंका दिया।
स्वामी प्रसाद भी हारे
ऐन चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर सपा में जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी, माधुरी वर्मा समेत कई दिग्गज चुनाव हार गए। हालांकि दारा सिंह चौहान जीतने में सफल रहे।
यहां भी भाजपा
उत्तराखंड: कांग्रेस के सीएम चेहरे हरीश रावत भी नहीं जीत पाए: देवभूमि उत्तराखंड (70 सीट) में मोदी मैजिक के दम पर भाजपा लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है। राज्य में ऐसा करने वाली वह पहली पार्टी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की खटीमा में हार से पार्टी को झटका लगा है। 21 साल के इतिहास में पहली बार कोई मुख्यमंत्री चुनाव नहीं जीत सका। सीटें भी पिछली बार से 10 कम हुई हैं।
कांग्रेस के सीएम उम्मीदवार हरीश रावत भी लालकुआं से हार गए। आम आदमी पार्टी का खाता भी नहीं खुला।
तलाशना होगा नया चेहरा: धामी की हार के बाद भाजपा को सीएम पद के लिए नया चेहरा तलाशना होगा। यदि ऐसा नहीं होता है, तो छह महीने में किसी विधायक का इस्तीफा दिलाकर धामी को चुनाव लड़ाना पड़ेगा।
मणिपुर: भाजपा ने कायम रखा किला, कुछ सीटों पर कांटे की टक्कर
पूर्वोत्तर में भाजपा ने मणिपुर में बेहतर प्रदर्शन के साथ अपना किला बचाए रखा है। कुछ सीटों पर कांटे की टक्कर दिखी। बवगई सीट पर भाजपा प्रत्याशी महज 50 वोट से जीते। 2017 में भाजपा को 21 सीट पर जीत मिली थी। 60 सीटों की विधानसभा में भाजपा ने 32 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी सुनिश्चित कर ली।
गोवा: सावंत ने किया कमाल मनोहर परिकर के बेटे की हार
भाजपा ने 40 सीटों वाली विधानसभा में 20 सीटों पर जीत हासिल की। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने तीन निर्दलीयों व महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के दो विधायकों के साथ सरकार बनाने का दावा किया। पूर्व सीएम मनोहर परिकर के बेटे उत्पल परिकर हार गए। वह निर्दलीय खड़े हुए थे।
उपचुनाव में असम की माजुली सीट पर भाजपा की बड़ी जीत
असम की माजुली सीट पर हुए उपचुनाव में सत्ताधारी भाजपा के प्रत्याशी भुबन गाम ने विपक्षी गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी असम जातीय परिषद के चितरंजन बासुमातारी को 42,141 वोट से हरा दिया। भुबन गाम को 67,242 और बासुमातारी को 25101 वोट मिले। सात मार्च को हुए उपचुनाव के दौरान कुल 1.33 लाख में से 71.76 फीसदी लोगों ने मताधिकार का उपयोग किया। यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनेवाल के पिछले साल 27 सितंबर को राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित होने के बाद खाली हुई थी।