Friday, October 18, 2024
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भगवान श्री रंगनाथ का दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव 20 मार्च से, 26 मार्च को निकलेगा भव्य रथ

वृन्दावन। उत्तरभारत में दक्षिणात्य शैली के सबसे विशाल देवालय श्री रंगनाथ मन्दिर दिव्यदेश का दस दिवसीय ब्रम्होत्सव 20 मार्च से विविध धार्मिक व सांस्कृतिक अनुष्ठानों के साथ प्रारंभ होने जा रहा है। महोत्सव का मुख्य आकर्षण रथ का मेला 26 मार्च को आयोजित होगा।

धार्मिक नगरी में यूं तो मन्दिरो की एक अनवरत श्रंखला है। लेकिन श्री रँग मन्दिर अपने आप मे कई विशेषताओं को समेटे हुए है जो कि अनूठी है। मन्दिर की वैदिक पूजा पद्वति हो या उत्सवों की श्रंखला सब कुछ वैदिक परम्पराओ पर आधारित है। दक्षिण की वैदिक भूमि से ब्रज में भक्ति की भूमि पर साधना करने आये परम् तपस्वी सन्त रँगदेशिक महाराज की सद्प्रेरणा से मथुरा के धनिक भक्त राधाकृष्ण ,लक्ष्मी चंद,गोविन्ददास ने इस मंदिर का निर्माण कराया ।संवत 1901 से प्रारम्भ हुए विशालकाय मन्दिर का निर्माण 1906 में पूर्ण हुआ। जिसमें वैदिक रीति रिवाज से श्री गोदा रंगनाथ, श्री वेंकटेश्वर, श्री सुदर्शन जी,श्री वैष्णव सम्प्रदाय के अर्चावतार ,श्री रामानुज स्वामीजी के चल अचल विग्रह स्थापित किये गये।

मन्दिर की मुख्य अधिशाषी अधिकारी अनघा श्री निवासन ने बताया कि यह उत्सब ब्रह्मा के द्वारा बनाया उत्सव है। इसीलिए इसे ब्रह्मोत्सव कहते हैं। इस उत्सव में भगवान भक्तों के बीच जा कर दर्शन देते हैं । इस बार ब्रह्मोत्सव ( रथ का मेला) 20 मार्च से शुरू होगा । इस मेले में प्रातः और सांयकाल भगवान रँगनाथ विभिन्न स्वर्ण रजत निर्मित वाहनों पर विराजमान हो कर मन्दिर से बैंडबाजो के साथ निकलेंगे। इस उत्सव में 25 मार्च को होली , 26 मार्च को रथ यात्रा और 27 मार्च को बड़ी आतिशबाजी प्रमुख रूप से रहेगी । श्री रघुनाथ आचार्य ने बताया कि ब्रम्होत्सव का शुभारंभ वैदिक परम्परानुसार ध्वजारोहण से होगा। जिसके अंतर्गत अखिल ब्रह्मांड नायक को आमंत्रित करने के लिए गरुण जी का आह्वान कर उन्हें स्वर्ण स्तम्भ पर आरूढ़ किया जाता है। इसी क्रम में देव आह्वान व आचार्य परम्परा को स्थापित किया जाता है।

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