योगी राज पार्ट-2 में क्षेत्रीय संतुलन को काफी हद तक साधा गया है। सबसे ज्यादा तवज्जो पश्चिमी यूपी को मिली है। पिछली बार के मुकाबले यूपी के चारों हिस्सों में मध्य को छोड़ कर सबकी हिस्सेदारी बढ़ी है। लखनऊ सत्ता का केंद्र है पर मंत्रियों के मामले में रुतबा काफी घट गया है जबकि आगरा, शाहजहांपुर व वाराणसी को तीन-तीन मंत्री मिले हैं।
असल में पश्चिमी यूपी भाजपा के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण माना जा रहा था। चुनाव में भाजपा को यहां खासी मशक्कत करनी पड़ी। पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिल कर आक्रामक प्रचार अभियान चलाया और पूरा मंजर ही बदल दिया। यहां से भाजपा ने अपनी मजबूती बनाए रखी। हालांकि सीटें पहले के मुकाबले कम हुईं लेकिन योगी ने पश्चिमी यूपी को 25 मंत्री दे दिए। पिछली बार मैनपुरी से मंत्री बनाए गए रामनरेश अग्निहोत्री को इस बार नहीं लिया गया।
अब बात पूर्वांचल की। मुख्यंत्री तो गोरखपुर से हैं हीं, इसके अलावा 18 मंत्री पूर्वांचल को मिले हैं। प्रयागराज से आने वाले केशव मौर्य उपमुख्यमंत्री के तौर पर यहां बरकरार हैं। इस बार बुंदेलखंड से तीन विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिला है। पहले दो मंत्री यहां से थे। मध्य यूपी का प्रतिनिधित्व मंत्रिपरिषद में काफी कम हुआ है। अब इस क्षेत्र को केवल सात मंत्री मिले हैं जबकि पिछली बार नौ मंत्री यहां से थे।
लखनऊ का रुतबा कम हुआ
पिछली योगी सरकार में लखनऊ से उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के अलावा बृजेश पाठक, महेंद्र सिंह, आशुतोष टंडन, स्वाति सिंह, मोहिसन रजा मंत्री थे जबकि बृजेश पाठक दिनेश शर्मा के स्थान पर उप मुख्यमंत्री हो गए। बाकी को इस बार मंत्रिपरिषद में नहीं लिया गया। इस बार कानपुर से कोई मंत्री नहीं बना।
75 जिलों में केवल 36 जिलों को मिला प्रतिनिधित्व
आगरा,मथुरा, अलीगढ़, मैनपुरी, बरेली,मुरादाबाद, संभल, कन्नौज, मेरठ, रामपुर, गाजियाबाद, बागपत, शामली, पीलीभीत, मुजफ्फरनगर , सहारनपुर, शाहजहांपुर, गोरखपुर, प्रयागराज, वाराणसी, मऊ, मिर्जापुर, सोनभद्र, जौनपुर, बलिया, देवरिया, मिर्जापुर, फतेहपुर , लखनऊ, रायबरेली,सीतापुर, हरदोई व कानपुर देहात, जालौन, बांदा व ललितपुर इन जिलों को प्रतिनिधित्व मिला है जबकि 39 जिलों से किसी को मंत्री नहीं बनाया गया है।