नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस संगठन में बड़े स्तर पर सर्जरी की तैयारी चल रही है। अगले 15 दिन के अंदर बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। इसके तहत उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में नए पीसीसी चीफ बनाए जाएंगे। इसके अलावा कुछ राज्यों में महासचिवों और सचिवों की छुट्टी भी हो सकती है।
गुटबाजी दूर करने पर मेन फोकस
आगामी विधानसभा चुनावों की लिस्ट में शामिल हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत तमाम अन्य राज्यों में संगठन को मजबूत करने के लिए कांग्रेस आलाकमान के स्तर पर नई रणनीति पर काम चल रहा है। इसमें मुख्य रूप से हर राज्य में संगठन के भीतर नेताओं के आपसी टकराव को खत्म करने पर फोकस है।
पंजाब और उत्तराखंड में जिस तरह से कांग्रेस की हार हुई है, उसकी सबसे बड़ी वजह संगठन के भीतर आपसी टकराव को ही माना जा रहा है। चुनावी राज्यों में ये वाकया दोबारा न हो, इसके लिए पार्टी के नेताओं को एकजुट करने की कोशिश की जा रही है। दरअसल शायद ही ऐसा कोई राज्य हो, जहां कांग्रेस में नेताओं के बीच आपसी वर्चस्व की लड़ाई न हो। इसका सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस को हो रहा है।
इस सिलसिले में पिछले दिनों दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हिमाचल प्रदेश के नेताओं के साथ मीटिंग की और गुटबाजी खत्म करने की नसीहत दी। वहीं, शुक्रवार को राहुल गांधी ने हरियाणा के नेताओं से इसी सिलसिले में मुलाकात की। राहुल गांधी ने सभी से अपील की कि आपसी तकरार खत्म करके पार्टी के लिए एकजुट होकर काम करें। फिलहाल हर नेताओं को अपना व्यक्तिगत एजेंडा दरकिनार करने के लिए नसीहत दी गई है, जिससे पार्टी को राज्य में फिर खड़ा करने में मदद मिले।
गुजरात- कांग्रेस को माइलेज दिलाएंगे रघु शर्मा
गुजरात में इस साल नवंबर में चुनाव होने हैं। वहां भाजपा के मजबूत किले को भेदना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है। गुजरात को लेकर कांग्रेस की गंभीरता इसी बात से समझी जा सकती है कि वहां संगठन को मजबूत करने के लिए 25 नए उपाध्यक्ष, 75 महासचिव और 17 शहर और जिलाध्यक्ष बनाए गए हैं। कुछ महीने पहले ही पार्टी ने राजस्थान के रघु शर्मा को गुजरात का प्रभारी बनाया है। देखना दिलचस्प होगा कि रघु शर्मा मोदी और अमित शाह के गृह राज्य में किस तरह से पार्टी को खड़ा करने में सफल हो पाते हैं और चुनाव में कांग्रेस को कितनी माइलेज दिला पाते हैं।
मध्य प्रदेश- कमलनाथ को मिलेगा पार्टनर
20 महीने बाद, यानी दिसंबर 2023 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होंगे। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमान अभी कमलनाथ के पास है। वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के अलावा नेता प्रतिपक्ष की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। चर्चा है कि आने वाले दिनों में कमलनाथ के पास केवल एक ही जिम्मेदारी रह जाएगी। संगठन की जिम्मेदारी किसी नए व्यक्ति को दी जाएगी, ताकि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी में नया जोश भरा जा सके और कांग्रेस भाजपा से मुकाबला कर सके। 2018 में कमलनाथ के पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस की 15 साल बाद सत्ता में वापसी हुई थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया से टकराव करना कमलनाथ को भारी पड़ा। सिंधिया से टकराव के कारण मार्च 2020 में कमलनाथ को अपनी सरकार गंवानी पड़ी।
राजस्थान- सत्ता में वापसी पर रहेगा पूरा जोर, पर चेहरा कौन ?
कांग्रेस के लिहाज से राजस्थान बेहद महत्वपूर्ण राज्य है, लेकिन इस राज्य में गहलोत और पायलट गुट के बीच टकराव पिछले तीन साल से लगातार जारी है। इस टकराव को खत्म करने के लिए कांग्रेस आलाकमान की ओर से बार-बार प्रयास किया जा रहा है, लेकिन विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पायलट के कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए पार्टी ने सत्ता में वापसी की, लेकिन लंबे समय से वे सरकार और संगठन में नहीं हैं, जबकि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तब के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को ब्ड बनाया गया था, लेकिन पायलट को उस मापदंड से बाहर किया गया।
पिछले दो दशक से अधिक समय से यहां हर पांच साल पर सरकार बदलने की परम्परा रही है। ऐसे में कांग्रेस यहां दोबारा सत्ता में आने के लिए क्या कदम उठा रही है, यह देखना दिलचस्प होगा।
छत्तीसगढ़- बड़ी मुश्किल से मिला गढ़ छिनने न पाए
छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की सरकार है। 15 साल से जमी भाजपा की रमन सरकार को हटाकर कांग्रेस पूरे बहुमत से सत्ता में आई थी, लेकिन यहां भी कांग्रेस गुटबाजी से अछूती नहीं है। यहां ब्ड भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव गुट के बीच विवाद दिल्ली दरबार तक पहुंचा है। 2018 में बघेल के कांग्रेस के प्रदेश रहते हुए पार्टी ने लंबे समय के बाद सत्ता में वापसी की, लेकिन ब्ड पद के लिए टीएस सिंहदेव गुट भी अपना दावा ठोकता रहा है। इस विवाद को खत्म कराने में कांग्रेस आलाकमान ने पुरजोर कोशिश की है और ये एक्सरसाइज लगातार जारी है। 2023 के विधानसभा चुनाव में इस गढ़ को बचाना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
महासचिव, सचिव भी बदले जाएंगे
कांग्रेस की ओर से कुछ राज्यों के महासचिव और सचिवों को भी बदलने की तैयारी है। इसके लिए पार्टी में होमवर्क किया जा रहा है। जमीन पर कांग्रेस को मजबूती देने की रणनीति तैयार की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक 10 से 15 फीसदी तक नए महासचिव बनाए जाएंगे, जबकि 20 से 25 फीसदी नए सचिव बनाए जाएंगे। पुराने पदाधिकारियों को हटाया जाना तय माना जा रहा है। इसके लिए उनके कामकाज का मूल्यांकन किया जा रहा है।