पीके दुबे
मथुरा। अपर सत्र न्यायाधीश एवं मथुरा पॉक्सो एक्ट न्यायालय के विशेष न्यायाधीश श्री हरविन्दर सिंह ने आज ब्रज की नाबालिका के अपहरण एवं महाराष्ट्र के दो होटलों में ले जाकर हुए बलात्कार के आरोपी को दोष सिद्ध होने पर कठोर सजा का आदेश दिया। पॉक्सो एक्ट न्यायालय की स्पेशल डीजीसी अलका उपमन्यु एडवोकेट ने पीड़िता की ओर से सरकारी वकील होने पर पैरवी की। इस पर न्यायालय ने अभियुक्त रॉकी को अनेक धाराओं में अलग-अलग सजा व अर्थ दंड की सजा सुनाई है।
स्पेशल डीजीसी अलका उपमन्यु ने जानकारी देते हुए बताया कि मथुरा जिले के थाना मगोर्रा में अपराध संख्या 154/20-19 धारा 363, 366, 376 भा.दं.सं. व धारा 3/4 पॉक्सो एक्ट में अभियुक्त रॉकी पुत्र करन सिंह को न्यायालय द्वारा कठोर सजा सुनाई गई है। अभियुक्त रॉकी पुत्र करन सिंह एक 14 वर्षीय नाबालिक बालिका को घर से यह कहकर ले गया था कि तुम्हारी सहेली बाहर खड़ी है और तुम्हे बुला रही है। उस समय बालिका के माता-पिता घर पर नहीं थे। बाहर ले जाकर बैन में डालकर जबरन नशीला पदार्थ पिलाकर बेहोश कर दिया। जब पीड़िता को होश आया तो वह ट्रेन में थी और उसे डरा दिया कि चुप रहना नहीं तो तुझे मार दूंगा।
पीड़िता को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक होटल व दूसरे दिन दूसरे स्थान पर दूसरे होटल में उसका जबरन बलात्कार किया। दो दिन घुमाने के बाद महाराष्ट्र के जलगांव होते हुए उसे आगरा के स्टेशन पर छोड़ गया। जहां पीड़िता ने किसी तरह अपने घर आकर मां-पिता को यह घटना बताई। रिपोर्ट दर्ज होने 164 व मेडिकल होने के उपरान्त घटना की पुष्टि हुई। गवाह सबूत के आधार पर अभियुक्त को न्यायालय में लंबी सुनवाई के बाद आज 29 मार्च 2022 को कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।
अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट मथुरा श्री हरविन्दर सिंह ने आज मथुरा जिले के थाना मगोर्रा अपराध संख्या 154/20-19 धारा 363, 366, 376 भा.दं.सं. व धारा 3/4 पॉक्सो एक्ट में अभियुक्त रॉकी पुत्र करन सिंह को पॉक्सो एक्ट धारा 4 में दोष सिद्ध होने पर 20 वर्ष की सजा एवं 20 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
अर्थदंड न देने पर एक वर्ष की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। 366 में दोष सिद्ध होने पर दस वर्ष की सजा व दस हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड न देने पर 6 माह की अतिरिक्त सजा सुनाई है। धारा 363 सात वर्ष की कठोर सजा एवं पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड न देने पर 3 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। यह सभी सजाए साथ-साथ चलेंगी और अभियुक्त रॉकी द्वारा पूर्व में जेल में बिताई गई अवधि सजा में समायोजित की जाएगी। पीड़िता को अभियुक्त पर जो अर्थदंड लगाया गया है वह न्यायालय में जमा होने पर उसमें से 20 हजार रुपये प्रतिकर स्वरुप दिया जाएगा। न्यायालय द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद अभियुक्त रॉकी को पुलिस हिरासत में जेल भेज दिया।