Wednesday, October 23, 2024
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तीन नौनिहालों की जन्मजात विकृति का के.डी. हॉस्पिटल में हुआ निदान


शिशु शल्य विशेषज्ञ डॉ. श्याम बिहारी शर्मा ने दिया नवजीवन


मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर के शिशु शल्य विशेषज्ञ डॉ. श्याम बिहारी शर्मा जन्मजात विकृतियों से परेशान नौनिहालों के लिए इस समय भगवान साबित हो रहे हैं। अप्रैल माह में ही डॉ. शर्मा ने रिट्रो रैक्टल ट्रांसएनल पुल थ्रू सर्जरी के माध्यम से तीन शिशुओं की जन्मजात विकृति का निराकरण किया है। अब तीनों नौनिहाल न केवल पूरी तरह स्वस्थ हैं बल्कि सामान्य रूप से मल त्याग रहे हैं।


ज्ञातव्य है कि लोहिना (बनचारी) तहसील होडल, जिला पलवल (हरियाणा) निवासी सत्यवीर अपने इकलौते पुत्र हरिओम (02 वर्ष) को लेकर के.डी. हॉस्पिटल आया और डॉ. श्याम बिहारी शर्मा से मिला। सत्यवीर ने डॉ. शर्मा को बताया कि उनके बेटे ने जन्म के दो दिन बाद तक मल त्याग नहीं किया। इससे परेशान होकर वह बच्चे को लेकर दिल्ली के एक निजी चिकित्सालय गए जहां चिकित्सकों ने सर्जरी के माध्यम से उसके पेट में मलद्वार बना दिया। बच्चा यथास्थान मल त्याग करे इसके लिए वह कई चिकित्सकों से मिले लेकिन सही समाधान नहीं हुआ।


डॉ. शर्मा ने बच्चे की कुछ जांचें कराईं जिनसे पता चला कि उसकी बड़ी आंत का तीन चौथाई हिस्सा निष्क्रिय है जिसे काटकर निकालना तथा बची हुई बड़ी आंत को मलद्वार से जोड़ना आवश्यक है। दो साल के बच्चे में यह सब दुष्कर कार्य था। आखिर परिजनों की सहमति के बाद डॉ. शर्मा ने डॉ. जीतेन्द्र, निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. विदुषी तथा ओटी टेक्नीशियन योगेश के सहयोग से बच्चे की सर्जरी करने में सफलता हासिल की। अब बच्चा पूर्ण स्वस्थ है तथा अन्य बच्चों की तरह ही सामान्य रूप से मल त्याग रहा है।


इसी तरह दूसरा मामला गांव सुरीर रिफाइनरी के पास, मथुरा निवासी वेद पुत्र गौरव का है। बच्चे ने जन्म के 10 दिन तक मल त्याग नहीं किया था। आखिरकार उसे के.डी. हॉस्पिटल लाया गया। जहां शिशु शल्य विशेषज्ञ डॉ. श्याम बिहारी शर्मा ने कुछ जांचें कराने के बाद बच्चे का आपरेशन किया। बच्चे की निष्क्रिय आंत को काटकर नीचे गुदा द्वार से जोड़ा गया। अब बच्चा ठीक है तथा सामान्यतया मल त्याग रहा है।


तीसरा मामला गांव कौंकेरा, तहसील छाता जिला मथुरा निवासी चंदन सिंह की तीन साल की बेटी नेहा का है। नेहा को जन्म से ही मल त्याग करने में परेशानी हो रही थी। वह ठीक से खाना भी नहीं खाती थी लिहाजा सामान्य बच्चों से उसका वजन काफी कम था। इस बच्ची के पहली स्टेज में पेट पर मलद्वार बनाया गया तथा छह माह बाद निष्क्रिय आंत को काटकर अलग किया गया तथा सक्रिय बड़ी आंत को गुदा द्वार से जोड़ा गया। अब बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है। डॉ. श्याम बिहारी शर्मा का कहना है कि इस बीमारी का नाम हर्शप्रंग डिजीज है तथा आपरेशन को रिट्रो रैक्टल ट्रांसएनल पुल थ्रू कहते हैं। गौरतलब है कि के.डी. हॉस्पिटल में सस्ती जांचों तथा निःशुल्क आपरेशन होने के कारण अब तक 50 से अधिक शिशु जन्मजात विकृति से छुटकारा पा चुके हैं।


इन बच्चों को नवजीवन देने वाले डॉ. श्याम बिहारी शर्मा और उनकी टीम को आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल, डीन डॉ. आर.के. अशोका तथा चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने बधाई दी।

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