मथुरा। 24 की रात को हुकुमचन्द सैनी पुत्र नत्थीलाल सैनी उम्र करीब 80 वर्ष निवासी अशोक विहार कालोनी थाना सदर बाजार जनपद मथुरा की अज्ञात बदमाश ने सिर कुचलकर हत्या कर दी थी। जिसके सम्बन्ध में वादी श्री नितिन सैनी पुत्र हुकुमचन्द सैनी के द्वारा थाना सदर बाजार पर एफआईआर दर्ज कराई गई। घटनास्थल का सभी उच्चाधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया गया । मौके पर डॉग स्कवायड टीम, फोरेंसिक टीम, एसओजी टीम, सर्विलांस टीम को बुलवाया गया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय ने उक्त घटना के अनावरण हेतु टीमें गठित कर व्यापक निर्देश दिये। गठित टीमों द्वारा घटना के अनावरण हेतु सूचनाओं का संकलन किया गया एवं परिवार की पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी जुटायी गयी । सूचना संकलन से ज्ञात हुआ कि मृतक श्री हुकुमचन्द सैनी को वर्ष 2015 में डूब क्षेत्र में खेती आने के कारण मुआवजे के रूप में लगभग 03 करोड रूपया मिला था उक्त रूपयों को हुकुमचन्द सैनी द्वारा अपने बेटों में न बांटकर अपने छोटे भाई गुलाबचन्द सैनी के साथ कोल्ड स्टोरेज में पार्टनरशिप में लगा दिया था। किन्तु गुलाबचन्द सैनी मृतक के पुत्रो के साथ उनकी हिस्सेदारी व हिसाब किताब को नही बताते थे जिससे हुकुमचन्द के पाँचों बेटे गरीबी में जी रहे हैं। अभी यह भी जानकारी में आया कि हुकुमचन्द को पुनः डूब क्षेत्र की जमीन में मुआवजे के रूपये में लगभग 25 करोड रूपये मिलने वाले हैं। इन सब सूचनाओं के संकलन से यह तथ्य जानकारी में आया कि हत्या में किसी नजदीकी परिवारीजन का हाथ है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के कुशल निर्देशन में, पुलिस अधीक्षक नगर के कुशल नेतृत्व में एवं क्षेत्राधिकारी नगर के निकट पर्यवेक्षण में पुलिस टीम द्वारा आज दिनांक 27.04.22 को घटना का सफल अनावरण करते हुए अभियुक्त विनोद सैनी पुत्र हुकुमचन्द सैनी को गिरफ्तार किया गया तथा हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल की बरामदगी अभियुक्त की निशानदेही पर की गयी।
अभियुक्त ने अपना जुर्म स्वीकार करते हुए पूछताछ पर बताया कि मेरे पिता हुकुमचन्द सैनी को वर्ष 2015 में करीब 03 करोड रूपया मुआवजे के रूप में मिला था जिसमें करीब 2.5 करोड रूपया उन्होने हमारे चाचा गुलाब चन्द सैनी के साथ कोल्ड स्टोर में लगा दिया था । उक्त रूपयों में से बडे भाई अनिल सैनी को लगभग 10 लाख रूपये तथा हम भाईयो को दो दो तीन तीन लाख रूपये दिये थे ।
उक्त रूपयों में से मैने सोने चाँदी के व्यापार की दुकान खोली थी जो नही चली । मेरी बेटी मुझसे पढाई के लिये कई बार पैसे मांगे थे जो मैं दे नही पा रहा था तथा मेरी पुत्रियाँ शादी लायक हो गयी हैं इस कारण से मैने पिताजी से पैसा मांगा था किन्तु वह नही दे रहे थे, बार-बार टाल मटोल कर रहे थे । इस कारण में बडे तनाव में था, हमारे ही रूपयों से दूसरे लोग मजे ले रहे थे और हम पाँचों भाई भुखमरी के कगार पर थे । अभी बहुत जल्दी ही मेरे पिताजी को पुनः डूब क्षेत्र के मुआवजे की लगभग 25 करोड रूपये की धनराशि आने वाली थी । मेरे मन में यह बात घर कर गयी कि कहीं ये पुनः उक्त रूपयों को न लुटा दें। मेरे पिता की मृत्यु के बाद यह रूपया हम भाईयों में बटेंगा । यही सोचकर मैने अपने पिता की हत्या कर दी ।