नई दिल्ली। इसी साल मार्च में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। इस हार के बाद कांग्रेस ने इन पांच में यूपी को छोड़कर चार राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों को बदल दिया। जिसमें पार्टी आलाकमान ने गोवा, पंजाब, उत्तराखंड और मणिपुर में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति तो की, लेकिन राजनीतिक अहमियत के हिसाब से सबसे अहम सूबे उत्तर प्रदेश में पार्टी ने अभी तक कोई नया प्रमुख नियुक्त नहीं किया है।
बता दें कि बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के हाथों में यूपी की कमान थी। पार्टी को उम्मीद थी कि इस प्रदर्शन अच्छा होगा लेकिन नतीजों में कांग्रेस सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी। जिसके बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद से पार्टी यूपी अध्यक्ष पद पर किसी को नियुक्त नहीं कर सकी है।
आखिर यूपी अध्यक्ष की नियुक्ति में बाधा क्या है: हालांकि इसकी वजह से पार्टी के कई नेता भी हैरान हैं कि आखिर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लिए एक नया अध्यक्ष नियुक्त करने से प्रियंका गांधी को कौन सी चीज रोक रही है। द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक यूपी अध्यक्ष के लिए जिन नेताओं के नाम की चर्चा है, उनका पार्टी में कद छोटा है, ऐसे में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाना पार्टी में कलह का कारण बन सकता है।
बीते बुधवार को यूपी की AICC महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बीते विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार राज्य का दौरा किया था। इस दौरान प्रदेश में पार्टी के पुनरुद्धार की रणनीति पर चर्चा होनी थी लेकिन उन्हें यह दौरा बीच में ही छोड़कर दिल्ली जाना पड़ा। बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी के कोरोना संक्रमित होने के बाद उन्होंने यह फैसला लिया। हालांकि दौरा रद्द होने के पीछे की वजह स्पष्ट नहीं है। नहीं काम आया ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का नारा: प्रियंका गांधी ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का नारा दिया था। इसके साथ ही 40 फीसदी महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा। लेकिन पार्टी को इसका फायदा नहीं मिल सका। नतीजे जब आये तो पार्टी को यूपी 403 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 2 ही सीट हासिल हुई।
कड़ी मेहनत करनी होगी: बुधवार को प्रियंका गांधी ने कहा था कि वह यूपी में पार्टी को मजबूत करने में दोगुनी मेहनत करेंगी। तब तक लड़ेंगी जब तक जीतेंगी नहीं। उन्होंने कहा था कि कड़ी मेहनत के बाद भी पार्टी को हार पर हार मिल रही है लेकिन यह मायूस होने का समय नहीं है। इस वक्त पार्टी को दोगुनी ऊर्जा से लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
राष्ट्रीय स्तर से राज्य तक की समस्या: कांग्रेस के सामने राज्य स्तर पर अध्यक्ष नियुक्त करने का ही सवाल नहीं है। इससे पहले कई बार पार्टी में जी-23 नेताओं ने राष्ट्रीय स्तर पर भी नेतृत्व में बदलाव की बात कही है। हालांकि पार्टी को नई रणनीति और मजबूती देने के लिए नेतृत्व ने राजस्थान के उदयपुर में तीन दिवसीय(13 मई से 15 मई) चिंतन शिविर का आयोजन किया था। लेकिन इस शिविर के दौरान ही कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया। इसमें कांग्रेस की पंजाब इकाई के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़ का भी नाम शामिल है। इसके अलावा पार्टी के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल भी पार्टी छोड़ चुके हैं। सिब्बल कई बार पार्टी आलाकमान पर सवाल खड़े कर चुके थे। माना जा रहा था कि उनके और पार्टी नेतृत्व के बीत रिश्ते ठीक नहीं थे। सिब्बल “जी -23” के एक अहम सदस्य थे और वे पार्टी की स्थिति को सुधारने और नेतृत्व को लेकर लगातार आवाज उठाते रहे।