Sunday, November 24, 2024
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ज्ञान व विज्ञान की भाषा है संस्कृत भाषा

वृंदावन। देववाणी संस्कृत भाषा को जनसाधारण की भाषा बनाने के उद्देश्य को लेकर संस्कृत भारती ब्रज प्रान्त व सोऽहम् आश्रम संस्कृत अध्ययन केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में वृन्दावन स्थित सोऽ हम् आश्रम में 12 जून रविवार से 03 जुलाई रविवार तक 20 दिवसीय शिविर चालक-शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग के चतुर्थ दिवस के उदघाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए वर्गाधिकारी परम पूज्य स्वामी गौरवानन्द जी महाराज ने संस्कृत भाषा को विश्व की सबसे प्राचीन भाषा बताते हुए कहा कि आज सम्पूर्ण विश्व में संस्कृत भाषा के भारतीय धर्मग्रंथों पर शोधकार्य हो रहे हैं और अनेक देशों ने संस्कृत भाषा को ज्ञान व विज्ञान की भाषा के रूप में स्वीकार किया है।


इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री दीर्घ विष्णु मंदिर के सेवायत महन्त श्री कान्ता नाथ चतुर्वेदी ने संस्कृत भारती द्वारा देश विदेश में चलाए जा रहे संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के अभियान की सराहना करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा विश्व की सभी भाषाओं की जननी है और संस्कृत भाषा सृष्टि की सबसे प्राचीन भाषा है। उन्होंने संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार में लगे हुए सभी छात्र छात्राओं का उत्साह वर्धन करते हुए कहा कि आज युवाओं में संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है जिससे हमारा भारत वर्ष पुनः विश्व गुरु बनेगा और आप जैसे कर्मठ व निष्ठावान कार्यकर्ताओं के प्रयास से ही संस्कृत भाषा को जनसाधारण की भाषा बनाया जा सकेगा


ब्रज प्रान्त संगठन मंत्री आचार्य श्रवण कुमार जी ने संस्कृत भारती ब्रज प्रान्त द्वारा चलाए जा रहे प्रशिक्षण वर्ग, अभ्यास वर्ग,नैपुण्य वर्ग व बालकेन्द्रों के विषय में विस्तार से जानकारी दी। संस्कृत भारती मथुरा महानगर अध्यक्ष आचार्य ब्रजेन्द्र नागर ने कहा कि देववाणी संस्कृत भाषा के प्रति युवाओं में आकर्षण पैदा करने की आवश्यकता है वर्तमान में वैज्ञानिकों ने भी संस्कृत भाषा को कम्प्यूटर के लिए भी सबसे उपयोगी बताया है। विश्व के अनेक देशों में संस्कृत भाषा को सभी भाषाओं को अपने अंदर समाहित करने वाली भाषा माना गया है। इस लिए संस्कृत भाषा को सभी भाषाओं की जननी कहा जाता है।


सत्र का संचालन करते हुए संस्कृत भारती ब्रज प्रान्त सहमंत्री गौरव गौतम ने कहा कि संस्कृत भाषा को घर घर तक पहुंचाने के संकल्प को संस्कृत भारती के माध्यम से पूरा किया जा रहा है। जिससे अधिक से अधिक लोगों को अपने धर्मग्रंथों को पढ़ने का अभ्यास हो सकेगा।


इस अवसर पर महानगर अध्यक्ष एवं मथुरा, अलीगढ़ विभाग संयोजक आचार्य ब्रजेन्द्र नागर, महानगर मीडिया प्रभारी रामदास चतुर्वेदी पार्षद महानगर शिक्षण प्रमुख हरिश्चंद्र जी, एवं हरस्वरुप यादव द्वारा सभी अतिथियों का चंदन पुष्प माला अंगवस्त्र भेट कर सम्मान किया गया।

चतुर्थ दिवस उदघाटन सत्र का शुभारंभ मां सरस्वती जी के सम्मुख वैदिक विधि विधान से अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।शिक्षण प्रमुख कोमल वर्मा, आरती राजपूत द्वारा ध्येय मंत्र ष्पठामि संस्कृतं नित्यं वदामि संस्कृतं सदाष् का पाठ किया गया। कीर्ति निर्भया द्वारा संस्कृत गीतष्मृदपि च चन्दनमस्मिन देशेष् प्रस्तुत किया गया ।अंत में धन्यवाद ज्ञापन टीकाराम जी पांडेय द्वारा किया गया।सत्र का समापन कल्याण मंत्र से किया गया।

वर्ग व्यवस्थाओं में प्रमुख रूप से संस्कृत भारती ब्रज प्रान्त न्यास सचिव गंगाधर अरोड़ा, कार्यालय प्रमुख हरस्वरुप यादव, आरती राजपूत, कोमल वर्मा, आदि का विशेष सहयोग रहा और सतीश शर्मा, राम शर्मा, राजेन्द्र शर्मा, सुधाकर मिश्रा,माधव शरण श्रीमती वर्षा अरोड़ा आदि भी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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