कानपुर। कानपुर के बिकरू गांव में 2/3 जुलाई 2020 की रात हुआ नरसंहार शायद ही कोई भूलेगा। विकास दूबे और उसके गुर्गों ने 8 पुलिसवालों की घात लगाकर हत्या कर दी थी। जवाब में पुलिस ने विकास और उसके गैंग के कई लोगों को मार गिराया था। ठीक दो साल बाद बिकरू केस कानपुर देहात की अदालत में चल रहा है। सरकारी वकील राजू पोरवाल के अनुसार, मुख्य केस में मुकदमे में आरोप तय हो रहे हैं। जेल में बंद 44 आरोपितों पर चार्ज फ्रेम होने हैं। इसके बाद ट्रायल शुरू होगा।
उत्तर प्रदेश की राजनीति को हिला देने वाले बिकरू कांड के बाद कई स्तरों पर पुलिस और प्रशासनिक कार्रवाई हुई। कानपुर नगर और देहात में विकास दूबे की 67 करोड़, जयकांत की 2.97 करोड़ और विष्णुपाल की 70 हजार की अचल संपत्तियां सीज कर दी गईं। पुलिस ने जेल में बंद दरोगा विनय तिवारी और केके शर्मा को नौकरी से बर्खास्त कर दिया। दो दिन पहले ही पुलिस ने विकास की एक कार पकड़ी, जो एक व्यक्ति चोरी-छिपे चला रहा था।
इस पूरे मामले में जयकांत वाजपेई समेत 5 लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया गया है। जबकि 36 लोगों पर गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई हुई है। पुलिस के अनुसार, वारदात में कुल 80 एफआईआर दर्ज हुईं, जिसमें 62 में आरोप पत्र दाखिल कर दिए गए। 39 मुकदमों में आरोप तय हो चुके हैं। एक मुकदमे में बहस जारी है। पुलिस ने 66 आरोपित गिरफ्तार किए, जिसमें 54 आरोपित जेल में हैं। 30 लोगों के शस्त्र लाइसेंस कैंसल कर दिए गए।
एंटी डकैती कोर्ट में केस
कानपुर देहात जिले के जिला शासकीय अधिवक्ता (अपराध) राजू पोरवाल ने बताया कि बिकरू केस की सुनवाई स्पेशल कोर्ट (एंटी डकेती) में चल रही है। कुल 44 आरोपित हैं। इनमें किसी को जमानत नहीं मिली है। अब हर आरोपित पर आरोप तय होने हैं। हर व्यक्ति एक-एक कर डिस्चार्ज अर्जी देता है, जिसके निस्तारण में समय लगता है। केके तिवारी और विनय शर्मा की डिस्चार्ज अर्जी खारिज हो चुकी है।
लापरवाही का आरोप
वकील और एक्टिविस्ट सौरभ भदौरिया बिकरू कांड की अदालती प्रक्रिया में देर होने का आरोप लगाते हैं। उन्होंने कहा कि दो साल में आरोप ही तय नहीं हो सके। जितने लोगों पर गैंगस्टर लगा, उनमें सिर्फ 10 की संपत्तियां जब्त हो सकीं। यह पुलिस की लापरवाही है। जयकांत वाजपेई का गैंग रजिस्टर नहीं हो सका। उनका आरोप है कि जय के खिलाफ पासपोर्ट और शस्त्र लाइसेंस के मुकदमों को जानबूझकर हल्का किया जा रहा है। नरसंहार में घायल होमगार्ड को कोई मुआवजा नहीं मिला। विसल-ब्लोअर होने के बावजूद मेरी सुरक्षा हटा ली गई।
नाबालिग लड़की जेल में
विकास दूबे के शार्प शूटर अमर दूबे की नाबालिग पत्नी अब तक जेल में है। वकील शिवाकांत दीक्षित के अनुसार, नाबालिग का मुकदमा अलग से पॉक्सो कोर्ट में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट में उसकी जमानत अर्जी लंबित है। यहां गवाही जारी है। अभियोजन ने 6 महीने तक तो केस डायरी ही नहीं दी थी।
बहन के लिए चुनाव भी लड़ार
नाबालिग लड़की की बहन नेहा ने बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। मतदाताओं को नाबालिग की गिरफ्तारी की दुहाई दी गई थी। ‘मैं हूं ब्राह्मण महासभा’ की प्रदेश अध्यक्ष पूजा दूबे के अनुसार, नाबालिग ऐसे गुनाह में जेल में बंद है, जो उसने किया ही नहीं था। एक दिन की ब्याहता लड़की पति के किस गुनाह में शामिल हो सकती है। वह इतनी डरी-सहमी थी कि अब करीब दो साल बाद कुछ जवाब देने की स्थिति में आई है।