Sunday, November 24, 2024
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GLA के प्रोफेसर शूरवीर डबलिन में ‘आइएपी एमेरिट्स अवार्ड‘ से सम्मानित

  • जीएलए के प्रोफेसर को अवार्ड से सम्मानित होने पर सीईओ बोले बेहतर रिसर्च की जगह जीएलए

मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा बायोटेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह को अन्तर्राष्टंीय पेराट्यूबरकुलोसिस संगठन, यूएसए द्वारा ‘‘आईएपी एमेरिट्स अवार्ड‘‘ से सम्मानित किया गया है। यह अवार्ड आयरलैंड देश के डबलिन शहर में आयोजित 15वीं कांफें्रस ऑन पैराटीबी पर की गई रिसर्च के लिए प्रदान किया गया है। प्रोफेसर को अवार्ड मिलने पर जीएलए के सीईओ नीरज अग्रवाल ने विश्वविद्यालय को बेहतर रिसर्च संस्थान बताया।

बायोटेक के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह पेराट्यूबरकुलोसिस के क्षेत्रों में पिछले 36 वर्षों से शोध के लिए न केवल हिन्दुस्तान में अपितु विश्व में जाने जाते हैं। इसी के तहत पशुआंे में पाये जाने वाली पेराट्यूबरकुलोसिस बीमारी की खोज के लिए भारत सरकार के डीबीटी संस्थान द्वारा अनुसंधान हेतु स्वीकृति मिली थी। इस पर केन्द्र सरकार की एक अन्य संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनीमल बायोटेक्नोलॉजी हैदराबाद तथा जामिया हमदर्द, नई दिल्ली के साथ मिलकर कार्य किया।


विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने बताया कि पैराट्युबरकुलोसिस एवं जोहेन्स जैसी लाईलाज बीमारी के कारण ही भारत वर्ष व अन्य देशों में पशुओं का उत्पादन बहुत कम हुआ है। पहले जो पशु 10 से 12 बार गर्भाशय होता था, लेकिन ऐसी
बीमारी के कारण अब बमुश्किल 3 से 4 बार ही गर्भाशय होता है। यह बीमारी आंतों तथा प्रतिरोधक क्षमता को बर्बाद कर देती है, जिससे पशु उत्पादन क्षमता खत्म हो जाती है। विभाग द्वारा इस क्षेत्र में किये गए कार्यों को न केवल राष्ट्रंीय
बल्कि अन्तर्राष्ट्रंीय स्तर पर भी सराहा एवं मान्यता प्रदान की गई है। कई वर्षों की रिसर्च के बाद विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर एक जॉनस डिजीज वैक्सीन तैयार की है। इस वैक्सीन को तैयार करने में सहायक प्रोफेसर डॉ. सौरभ गुप्ता एवं डॉ.
कुंदन कुमार चौबे ने भी योगदान दिया। जॉनस डिजीज वैक्सीन जीवाणु जनित वैक्सीन संक्रमण को रोकने के साथ
संक्रमण से प्रभावित गोवंश के शरीर में मौजूद बैक्टीरिया को भी खत्म कर देगी। जिसके चलते पशु पूरी तरह से स्वस्थ होकर पुनः उत्पादन करने लगते हैं।

‘‘आईएपी एमेरिट्स अवार्ड‘‘ के बारे में जानकारी देते हुए उन्हांेने कहा कि पैराट्यूबोकुलोसिस संस्था द्वारा इस जीवाणु के निदान एवं रोकथाम एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतर रिसर्च करने वाले विशेषज्ञों के लिए विभिन्न संस्थानो ं द्वारा दो वर्श में एक कार्यक्रम आयोजित कराये जाते हैं। जहां बेहतर रिसर्च एवं कार्य करने वाले विष्वव्यापी वैज्ञानिकों में से एक या दो को दो वर्श में एक बार होने वाले विष्वस्तरीय सम्मेलन में सम्मानित किया जाता है। इस वर्ष भी यह कार्यक्रम आयोजित हुआ और एसोसिएशन के प्रेसीडेंट रोड चिओदिनी ने आइएपी एमेरिट्स अवार्ड से नवाजा है। आशा है कि यह आयोजन वर्ष 2024 में जीएलए विश्वविद्यालय की ओर से भी आयोजित किया जायेगा।

अन्तर्राष्टंीय पेराट्यूबरकुलोसिस संगठन द्वारा जीएलए बायोटेक के प्रोफेसर शूरवीर को अवार्ड से नवाजे जाने पर जीएलए के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफीसर एवं एनएचआरडीएन मथुरा चैप्टर के प्रेसीडेंट नीरज अग्रवाल ने भी प्रो. शूरवीर
को बधाई दी। सीईओ ने कहा कि बीते वर्षों और वर्तमान में जीएलए के प्रोफेसर और छात्रों ने अनुसंधान के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं। देश के विकास में किए गए अनुसंधान आगामी समय में उभरकर सामने आयेंगे। उन्होंने जीएलए को रिसर्च के लिए बेहतर जगह बताया।

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