Sunday, November 24, 2024
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चावल की खेती में वृद्धि के लिए होंगे शोध और नए प्रयोग

संस्कृति विवि ने एक और सरकारी संस्थान से किया शैक्षणिक समझौता

मथुरा। संस्कृति स्कूल आप एग्रीकल्चर को कृषि शिक्षा और शोध के क्षेत्र में एक पूर्ण क्षमतावान केंद्र बनाने में जुटा संस्कृति विवि प्रशासन देश के चुनिंदा संस्थानों से लगातार समझौते कर रहा है। हाल ही में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मिलेट्स रिसर्च हैदराबाद के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट आफ राइस रिसर्च हैदराबाद से संस्कृति विवि ने एक महत्वपूर्ण समझौता किया है।


संस्कृति विश्वविद्यालय और आईसीएआर के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ राइस रिसर्च हैदराबाद के मध्य हुए इस द्विपक्षीय समझौते(एमओयू) पर संस्कृति विवि के चांसलर और आईसीएआर-आईआईआरआर हैदराबाद के निदेशक डा. आर.एम. सुंदरम ने हस्ताक्षर कर मोहर लगाई। इस समझौते के दौरान आईआईआरआर की ओर से सीनियर साइंटिस्ट डा. बी निर्मला, असिस्टेंट टीफ टेक्निकल आफीसर यू चैतन्य तथा संस्कृति विवि की ओर से स्कूल आफ एग्रीकल्चर के डीन डा. रजनीश त्यागी, ओएसडी श्रीमती मीनाक्षी शर्मा भी मौजूद रहीं।


विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार संस्कृति स्कूल आफ एग्रीकल्चर और आईसीएआर-आईआईआरआर मिलकर शोध और शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेंगे। विद्यार्थियों के हित में उठाया गया यह कदम विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित होगा ऐसा माना जा रहा है। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ राइस रिसर्च हैदराबाद इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च की एक महत्वपूर्ण इकाई है और यहां राइस(चावल) के जेनेटिक और प्लांट की पैदावर, बायोटेक्नोलाजी, प्लांट पैथोलाजी, एंटोमोलाजी, प्लांट फिजियोजाजी, सीड टेक्नोलाजी, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबाइलाजी, एग्रोनामी, सोइल साइंस, एग्रिल, इंजीनियरिंग इकोनामी और इसके विस्तार पर काम हो रहा है। चावल की खेती के लिए नई शोध कर किसानों के लिए नए रास्ते खोले जा रहे है।

समझौते के बाद संस्कृति स्कूल आफ एग्रीकल्चर और आईसीएआर के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ राइस रिसर्च हैदराबाद के मध्य शिक्षार्थियों, शिक्षकों और ज्ञान का आदान प्रदान होगा जिसका लाभ कृषि के विद्यार्थियों के अलावा देश के किसानों को मिल सकेगा। समझौते के दौरान संस्कृति विवि के कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने कहा कि संस्कृति स्कूल आफ एग्रीकल्चर का उद्देश्य भारतीय कृषि को लाभदायक और अत्याधुनिक बनाना है ताकि हमारे देश के विद्यार्थी उन्नत और समृद्ध खेती कर सकें।

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