Monday, November 25, 2024
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राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं ने डाला गुरु की महत्ता पर प्रकाश


विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बीच मनाया गुरु पूर्णिमा पर्व


मथुरा। राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं ने मंगलवार को विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से गुरु की महत्ता पर न केवल प्रकाश डाला बल्कि गुरु को छात्र जीवन में सर्वोपरि माना। रंग-बिरंगे परिधानों में सजे-संवरे बच्चों ने हर्षोल्लास के साथ गुरु पूर्णिमा पर्व मनाते हुए कहा कि गुरु ही हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं।

गुरु पूर्णिमा पर्व का शुभारम्भ शास्त्री सदन द्वारा विशेष प्रार्थना सभा से हुआ जिसका संचालन अनुष्का श्रीवास्तव ने किया। छात्र-छात्राओं ने कविता, श्लोकों, भाषण तथा मनोहारी नृत्य के माध्यम से गुरुजनों की महिमा की जानकारी दी। छात्र-छात्राओं ने अपने भाषण में बताया कि माता-पिता हम सभी लोगों के पहले गुरु होते हैं। माता-पिता के बाद जो दर्जा गुरु को दिया जाता है वह सर्वोपरि है।


गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि गुरु दो अक्षरों से मिलकर बनता है। गु का अर्थ अंधकार एवं रु का अर्थ प्रकाश होता है यानि जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए सही मायने में वही गुरु होता है। डॉ. अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि यदि वे किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करना चाहते हैं तो उन्हें अपने माता-पिता तथा गुरुजनों का सम्मान जरूर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु के सम्मुख तो देवता भी अपना सर झुकाते हैं।


संस्थान के प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि भारत में प्राचीन समय से ही गुरुओं का विशेष महत्व रहा है। सभी शिष्यों के लिए गुरु चिराग की तरह होते हैं, जो शिष्यों के जीवन को ज्ञान की रोशनी से भर देते हैं। गुरु अपने हर शिष्य को साहित्य, कला और जीवन के हर एक पड़ाव को समझने की अहम शिक्षा प्रदान करते हैं। गुरु को सम्मान देने के लिए ही गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है। श्री अग्रवाल ने कहा कि सिर्फ एक दिन ही नहीं बल्कि गुरु तो हर दिन, हर पल वंदनीय और पूजनीय होता है।


स्कूल की शैक्षिक संयोजिका प्रिया मदान ने कहा कि समाज में संस्कारों की कमी के चलते शिक्षकों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। आज समाज में ऐसे गुरुजनों की जरूरत है जोकि शिष्य के विकारों को दूर कर सकें। उन्होंने कहा कि हर माता-पिता अपने पुत्र और पुत्री को जहां अपने से भी अधिक कामयाब होते देखना चाहता है वहीं गुरु को भी शिष्य की सफलता पर आत्मसंतोष मिलता है। शास्त्रों में गुरु की तुलना ईश्वर से की गई है। प्रथम गुरु माँ होती है, जिससे हमें संस्कार मिलते हैं। दूसरा गुरु शिक्षक तथा तीसरा गुरु समाज होता है जो हमें समाज व राष्ट्र में पहचान दिलाता है।
चित्र कैप्शनः गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर राजीव इंटरनेशनल स्कूल के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम तथा शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ उपस्थित छात्राएं।

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