आगरा। ब्लॉक प्रमुख,विकास खण्ड अधिकारी, जे ई,बाबू और अन्य सरकारी कर्मचारियों की देख रेख में विकास कार्यों के नाम पर घोटाले की जो स्क्रिप्ट लिखी गई थी उसका तो काम तमाम हो चुका है। अब बारी इस खेल में शामिल जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की थी।
उम्मीद थी कि आलाधिकारी योगी सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर चलकर भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई करेंगे लेकिन विकास खण्ड अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई को देख कर लगता है कि योगी सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर भ्रष्ट ब्यूरोक्रेसी का कॉकस अभी भी भारी पड़ रहा है। मामला आगरा जनपद के ब्लॉक शमसाबाद का है, जहां दर्जनों फ़र्ज़ी कार्य योजना तैयार करके 90 लाख रुपये के गमन की रूप रेखा तैयार की गई थी।

पूर्व में हो चुके कार्यो को ही कार्य योजना में समायोजित कर सरकारी खजाने को डकारने का खाका तैयार किया गया था, लेकिन समय रहते भ्रष्टाचार के इस कुचक्र का पर्दाफाश हो गया। हालांकि बाद में जब पोल खुली तो टेंडड को निरस्त कर मामले में लीपापोती की प्रक्रिया भी शुरू हुई। विकास खंड अधिकारी पर करवाई हुई तो उन्हें श्रम विभाग से अटैच कर दिया और खाते भी सीज कर दिए गए। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि भ्रष्टचार के इस खेल के लिए जिम्मेदार कौन है ?