- कथा सम्राट की जयंती पर विचार गोष्ठी सम्पन्न
मथुरा। वर्तमान समय में मुंशी प्रेमचंद का स्मरण किया जाना न केवल साहित्य अपितु समाज की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, उनकी कहानियों और उपन्यासों के पात्र आज भी समाज में जीवित हैं, होरी, धनिया, गोबर,राय साहब आदि ऐसे ही पात्र हैं, जो गांव और कस्बों में आज भी मिल जाएंगे। वर्तमान समय में मानवीय मूल्यों का क्षरण होता जा रहा है। गरीब, महिला, किसान सब परेशान हैं, किसानों की बदहाली का मुद्दा सर्वप्रथम प्रेमचंद ने ही अपनी कहानी और उपन्यासों में उठाया है। आदमी तो मर जाता है किंतु वह विचारों में जीवित रहता है, इसलिए प्रेमचंद आज भी प्रासंगिक हैं और सदैव बने रहेंगे।
उक्त विचार राजकीय महाविद्यालय पहाड़ी, भरतपुर में हिंदी विभाग में कार्यरत डॉ शालिनी माहेश्वरी ने मुंशी प्रेमचंद की 142 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित प्रेमचंद की वर्तमान समय में प्रासंगिकता विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। इससे पूर्व मुंशी प्रेमचंद के छायाचित्र पर माल्यार्पण तथा पुष्प अर्पित किए गए। कार्यक्रम में सर्वप्रथम डॉ प्रतिभा ने मुंशी प्रेमचंद की कहानी सभ्यता का रहस्य का पाठ किया, जिस पर चर्चा हुई।
प्रियंका खंडेलवाल ने कहा कि पुरुष प्रधान समाज में आज भी वही मानसिकता है, जो पहले थी, इसलिए आज परिवारों को समझदार मुखिया की आवश्यकता है ताकि घर की विसंगतियों को दूर किया जा सके। प्रो. मेनिका गुप्ता ने कहा कि शोषकों के अमानवीय व्यवहार के कारण शोषित वर्ग में अनेक समस्याएं उत्पन्न हुई, जिन्हें प्रेमचंद ने अपनी कहानियों व उपन्यासों में लिख कर समाज के समक्ष आईने की तरह रखा है किन्तु वो पात्र समाज में आज भी मिलते हैं, उन्होंने कहा कि प्रेम के प्रति समर्पित स्त्री ही साहस कर सकती है, जोकि प्रेमचंद की कहानियों में मिलता है। डॉ नीतू गोस्वामी ने कहा कि आज प्रेमचंद की उपयोगिता एवं प्रासंगिकता और अधिक है। पुरुष प्रधान समाज में स्त्रियों के समानता की बात होनी चाहिए, उन्होंने वृंदावन में महिलाओं के शोषण पर भी अपनी बात प्रेमचंद की कहानियों के पात्रों से की।डॉ धर्मराज ने अपनी प्रेमचंद के गाँव लमही की यात्रा का संस्मरण सुनाया।
कार्यक्रम जनवादी लेखक संघ मथुरा तथा हिंदी-विभाग,आर सी ए गर्ल्स डिग्री कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया, जिसमें जलेस के अध्यक्ष टीकेन्द्र शाद, विजयपाल सिंह नागर, प्रो सोनम यादव, विवेक दत्त मथुरिया, सत्यपाल शर्मा, धर्मदेव, कैलाश वर्मा, अर्पित जादौन, जगवीर सिंह एडवोकेट, रवि प्रकाश भारद्वाज, उपेंद्र नाथ चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे।कार्यक्रम की अध्यक्षता मुनीश भार्गव ने की।