- जीएलए रिसर्च टीम ने किया शोध, पाइप में जमा होने वाली जीवाणु एवं शैवालों से मिलेगी मुक्ति
मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा की रिसर्च टीम ने सिविल इंजीनियरिंग एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त प्रयास से पानी की सप्लाई हेतु उपयोग किये जाने वाले पाइपों के कारोबार को नए आयाम देने की खोज की है। इस रिसर्च हेतु जीएलए विश्वविद्यालय को भारतीय पेटेंट कार्यालय भारत सरकार द्वारा ‘लेमिनेटेड पर्पस पाइप‘ के अविष्कार हेतु पेटेंट ग्रांट किया गया है।
इस तकनीक से विकसित पाइपों में जीवाणु एवं पादपों 1⁄4षैवालों इत्यादि1⁄2 की वृद्धि/उत्पत्ति संभव नहीं हो सकेगी। जिसके कारण यह पाइप पानी की गुणवत्ता को बनाए रखने के साथ-साथ षैवालों एवं पादपों से होने वाली बाधित सप्लाई 1⁄4अवरोध1⁄2 जैसी समस्याओं से मुक्ति दिलायेगा। इस अविश्कार में दो इपॉक्सी 1⁄4रेजिन1⁄2 परतों एवं नैनो समग्र कणों की एक रोगाणुरोधी परत का उपयोग किया गया है। इन परतों का समामेलन, रसायनों का बेहतर प्रतिरोध प्रदान करने के साथ-साथ पाइपों को उच्च तन्यता शक्ति प्रदान करने का कार्य करता है। जिसके परिणामस्वरूप यह परतें पाइप को उच्च षक्ति तथा बेहतर स्थायित्व प्रदान करती हैं।
यह खोज करने वाले वैज्ञानिक दल के प्रमुख एवं जीएलए विष्वविद्यालय के डीन रिसर्च प्रो. कमल षर्मा ने बताया कि यह पाइप आज के प्रदूषित वातावरण में होने वाले क्षय 1⁄4जंग आदि के कारण1⁄2 को रोकने के अतिरिक्त पेयजल में उपस्थित जीवाणुओं एवं षैवालों की वृद्धि को रोकने में मदद करेगा, जिससे स्वच्छ, सुरक्षित एवं अवाधित पेयजल सप्लाई सुनिष्चित की जा सकेगी।
यह खोज करने वाली टीम में जीएलए के सिविल इंजीनियरिंग विभाग से रिसर्चर कमल किषोर एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग से रिसर्चर आशीष गौड़ शामिल हैं। कमल किषोर द्वारा इस पाइप की गुणवत्ता, पाइप के जीवनकाल को बढ़ाने एवं प्रदूषण से होने वाले क्षय को रोकने के लिए कई प्रकार की परतों अवष्किार किया गया है। पाइप की बाह्य सतह पर इन परतों का प्रयोग जंग, तापमान के उतार चढ़ाव आदि के कारण होने वाले क्षय से बचाने का कार्य करता है। वहीं आशीष गौड़ द्वारा अंदरूनी आवरण को इस प्रकार से विकसित किया गया है कि यह पादपों द्वारा होने वाली बाधित सप्लाई के साथ-साथ जीवाणुओं द्वारा पानी को दूशित किये जाने जैसी समस्याओं से निजात दिलाने का कार्य करेगी।
इस पेटेंट के ग्रांट होने पर सिविल विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सुधीर गोयल एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. षूरवीर सिंह ने कहा कि सिविल इंजीनियरिंग एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त प्रयास से पानी की सप्लाई हेतु उपयोग किए जाने वाले पाइपों के कारोबार को ‘लेमिनेटेड मल्टीपर्पस पाईप‘ रिसर्च के माध्यम से नया आयाम देने की दिशा में एक उत्तम प्रयास है, जिससे इस तकनीक से विकसित पाइपों में पादपों 1⁄4षैवाल1⁄2 आदि की उत्पत्ति संभव नहीं हो सकेगी।