- डॉ. नरेश कुमार के प्रयासों को परिजनों ने सराहा
मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के चिकित्सकों की तत्परता और सही समय पर उपचार देने से सर्पदंश का शिकार हुई गांव खायरा, तहसील छाता, मथुरा निवासी मानवी (9) पुत्री अशोक कुमार की जान बच गई। गुरुवार को पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी मानवी को छुट्टी दे दी गई है। किशोरी मानवी के परिजनों ने के.डी. हॉस्पिटल के चिकित्सकों के प्रयासों की सराहना करते हुए उनका आभार माना है।
ज्ञातव्य है कि पांच अगस्त को सुबह लगभग साढ़े चार बजे गांव खायरा निवासी किशोरी मानवी लेटी हुई थी कि उसके कान के पिछले हिस्से में सांप ने डंस लिया। परिजनों को जैसे ही इस बात की जानकारी हुई उनके होश उड़ गए। मानवी को सुबह सवा छह बजे बेहोशी की हालत में के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर लाया गया। उस समय सहायक आचार्य डॉ. नरेश कुमार मौजूद थे, उन्होंने किशोरी की मंद हो चुकी सांसें और हृदयगति को देखते हुए उसे तुरंत पीआईसीयू में एडमिट कर वेंटीलेटर में लेकर उपचार शुरू कर दिया। डॉ. नरेश कुमार द्वारा बच्ची को तुरंत सांप के जहर को रोकने की दवा (एएसवी) तथा अन्य जरूरी दवाएं दी गईं।
शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. के.पी. दत्ता, डॉ. नरेश कुमार, सहयोगी चिकित्सकों तथा अन्य स्टॉफ की सघन निगरानी में मानवी को तीन दिन तक वेंटीलेटर पर रखा गया। किशोरी मानवी के पूर्ण स्वस्थ होने के बाद गुरुवार को उसे छुट्टी दे दी गई। डॉ. दत्ता का कहना है कि मानवी न्यूरोटॉक्सिक सांप कोबरा या करैत के दंश का शिकार हुई थी। समय से उपचार मिल जाने से ही उसको बचाया जा सका। डॉ. नरेश कुमार का कहना है कि सांप दो प्रकार के होते हैं। न्यूरोटॉक्सिक सर्प के दंश से मरीज के हाथ-पैर काम करना बंद कर देते हैं, वह बेहोश हो जाता है, उसे सांस लेने में दिक्कत होती है तथा ऑक्सीजन लेवल भी कम हो जाता है। दूसरा हिमेटोटॉक्सिक सर्प के दंश से खून का थक्का नहीं बनता लेकिन दोनों ही तरफ के सांपों के डंसने से प्रायः मृत्यु हो जाती है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल, डीन डॉ. आर.के. अशोका तथा चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र कुमार ने सर्पदंश का शिकार किशोरी मानवी की जान बचाने के लिए चिकित्सकों की टीम को बधाई है। प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने चिकित्सकों से कहा कि बरसात के मौसम में सर्पदंश के मामले बढ़ जाते हैं ऐसे में एएसवी दवाओं की पर्याप्त व्यवस्था रखी जानी चाहिए।