राघव शर्मा
नंदगांव । मान्यता रही है कि कंस के भय के कारण नंदबाबा गोकुल में कन्हैया का जन्मोत्सव नहीं मना सके। इसीलिए नंदगांव वास के दौरान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। नंदभवन में आज भी श्रीकृष्ण जन्ममहोत्सव विभिन्न लीलाओं और कार्यक्रमों के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।
नंदगांव-बरसाना की विशेष परंपरा के अनुसार पंचागों की काल गणना के उलट रक्षा बंधन के ठीक आठ दिन बाद यहां श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। 20 अगस्त अष्टमी की संध्या से ही बरसाना के गोस्वामी समाज के लोग नंदभवन पहुंचेंगे। दोनों गांवों के गोस्वामी समाज के मध्य समाज गायन का आयोजन होगा। संयुक्त समाज गायन के दौरान लाला के जन्म की बधाइयां दी जायेंगी। समाज के बाद बरसाना गोस्वामी समाज को बधाई के उपहारस्वरूप लड्डू भेंट किया जाता है। रात्रि दस बजे मंदिर प्रांगण में ढांढ पुरोहित द्वारा नंदबाबा की वंशावली का बखान किया जाएगा।
मध्यरात्रि को मंदिर में पंचामृत से लाला के श्रीविग्रह का गुप्त अभिषेक किया जाएगा। ठीक 12 बजे मंदिर के पट भक्तों के लिए खोल दिए जाते जाएंगे। पट खुलते ही सारा प्रांगण नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयघोष से गूंज उठता है। 21 अगस्त नवमी के दिन दधि कांधो, मल्ल युद्ध, बांस बधायी, भांड लीला, शंकर लीला आदि का मंचन भी किया जाएगा। नंद महोत्सव के दौरान श्री कृष्ण बलराम को रजत के हिंडोले में बाहर जगमोहन में विराजमान किया जाएगा।
श्रीकृष्ण के लिए सुरक्षित भूमि जान नंदगांव में आ बसे नंदबाबा
मथुरा में कंस के कारागार में अवतरण के बाद श्री कृष्ण को वसुदेव जी द्वारा नंद के घर गोकुल ले जाया गया। गोकुल में कंस के राक्षसों से असुरक्षित जान नंदबाबा ने शांडिल्य ऋषि से परामर्श किया। शांडिल्य ऋषि ने नंदबाबा को श्री कृष्ण के लिए नंदीश्वर पर्वत को सुरक्षित स्थान बताया। ऋषि ने बताया कि नंदीश्वर पर्वत की परछाईं जितनी परिधि में जाएगी उतना स्थान श्री कृष्ण के लिए सुरक्षित है। इस स्थान पर कंस के भेजे राक्षस भस्म हो जाएंगे। ऋषि के परामर्श के अनुसार नंदबाबा ने सपरिवार नंदीश्वर पर्वत के समीप आकर नंदगांव बसाया। नंदबाबा के सेवायत राकेश गोस्वामी ने बताया कि श्री मदभागवत में नंदगांव का वर्णन नंदब्रज नाम से है। श्री कृष्ण ने अधिकांश लीलाएं माखन चोरी, गौचारण, होली, गोवर्धन लीला आदि लीलाएं नंदगांव निवास के दौरान ही की हैं। कंस को मारने के लिए श्री कृष्ण अक्रूरजी के साथ नंदगांव से ही गए।
नहीं होते अभिषेक के दर्शन
नंदबाबा मंदिर में अभिषेक के दर्शन न कराकर कृष्ण बलराम का श्रृंगार कर मां यशोदा के सिर पर प्रसूता की भांति पट्टी बांधकर दर्शन कराए जाते हैं। गुप्त रूप से ठाकुर जी का अभिषेक कराया जाता है जिसका सौभाग्य सेवायतों को ही प्राप्त होता है।
21 अगस्त को दंगल का आयोजन
नंदमहोत्सव के अवसर पर कसबे में विशाल दंगल का आयोजन किया जाता है। दंगल में दूर दराज के पहलवान अपने करतब दिखाते हैं। 21 अगस्त को दंगल का आयोजन किया जाएगा।