कोमल पाराशर
बलदेव। दिन ढलते और रात्रि की षुरूआत होते ही बलदेव के डोरीलाल सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर अव्यवस्थाएं हावी हो जाती हैं। यह अव्यवस्थाएं ऐसी हैं कि न कोई कक्ष खुला होगा न कोई डॉक्टर मिलेगा और चारों तरफ अंधेरा छाया रहेगा। ऐसी ठीक स्थिति दिन में देखने को मिलती है। मरीज इधर-उधर भटकते रहते हैं, लेकिन कोई भी डॉक्टर संतुश्टिजनक जवाब देने को तैयार नहीं होता।
बलदेव स्वास्थ्य केन्द्र के हालातों को देखते हुए आसपास गांवों के मरीज भी इधर आने से कतराते हैं। अब हालात ये हैं कि मजबूरन पास ही खुले दो निजी हॉस्पीटलों की ओर रूख करना पड़ता है। ऐसा ही नजारा सोमवार को दिन ढलते षाम करीब 7 बजे स्वास्थ्य केन्द्र परिसर में एक लाइट की रोषनी थी। एक एंबुलेंस खड़ी हुई, षेश अंधेरा छाया हुआ था। इसके बाद स्वास्थ्य केन्द्र भवन में प्रवेष करते ही अंधेरा था। थोड़ा आगे चलने के बाद एक लाइट जली हुई थी। इधर उधर सामान बिखरा पड़ा है। पोलियो बॉक्स खुले में रखे हुए थे। ओपीडी कक्ष, इंजेक्षन कक्ष, स्टोर, महिला मरीज कक्ष, डॉक्टर कक्ष आदि पर ताला लटका हुआ था। थोड़ी देर बाद किसी व्यक्ति के फोन पर सपंर्क के बाद फार्मासिस्ट गजेन्द्र पाराषर पहुंचे। इस दौरान गजेन्द्र पाराषर ने बताया कि वह इमरजेंसी में थे।
विदित रहे कि ऐसी अव्यवस्थाओं को देखकर ही मरीजों ने भी रात्रि में स्वास्थ्य केन्द्र का रूख करना बंद कर दिया है। दिन के हालात ये हैं कि अगर कोई भी प्रसूता महिला अपनी कठिन सी समस्या को लेकर पहुंच भी जाये तो उसे तत्काल प्रभाव से डॉक्टरों के द्वारा जिला अस्पताल की ओर रास्ता दिखा दिया जाता है। मरीज की स्थिति और जिला अस्पताल की दूरी को भांप आसपास के मरीज समीप ही दो निजी अस्पताल की ओर रूख करते हैं। जहां मरीजों की जेब को देखकर उनसे वसूली की जाती है। अगर निजी अस्पताल जैसी व्यवस्थाएं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में मिलें तो प्रत्येक गांव के मरीज इधर उधर भागने की जरूरत न पडे़।
छौली अमीरपुर निवासी योगेष कुमार कहते हैं कि एक दर्जन से अधिक पास के ही गांवों के निवासियों के लिए डोरीलाल सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है। यहां भी हालात ये रहते हैं कि कभी डॉक्टर नहीं होते तो कभी उनके इलाज के समुचित व्यवस्थाएं नहीं होती हैं। रात्रि में पूरे हॉस्पीटल परिसर में अंधेरा छाया रहता है। इसी वजह से गांववासियों को अपने मरीज को लेकर निजी अस्पतालों का रूख करना पड़ता है।
बिसावर के ग्राम बिलारा निवासी रिशीकांत उपाध्याय ने बताया कि सोमवार को मथुरा से वह अपने गांव जा रहे थे, तो पत्नी के कुछ समस्या थी। इसके लिए वह रास्ते में पड़ने वाले बलदेव के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे। समय षाम करीब 7 बजे का था। यहां पहुंचने पर कोई डॉक्टर नहीं मिला। चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था। दिन में भी वह कई बार आ चुके हैं, लेकिन टालने की कोषिष हमेषां देखने को मिलती है।
रात्रि में एक डॉक्टर, एक फार्मासिस्ट और एक नर्स और एक सफाईकर्मी की ड्यूटी रहती है, जो कि रोस्टर के हिसाब से लगाई जाती है। कोई भी मरीज न होने के कारण हॉस्पीटल की लाईट बंद कर दी गई थी।
डॉ. राहुल सिंह, प्रभारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, बलदेव