मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल आफ इंजीनियरिंग ने उत्साह के साथ ‘इंजीनियरिंग डे’ मनाया। इस मौके पर विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित इस समारोह में मुख्य अतिथि पूर्व प्रिंसिपल डाइरेक्टर एसएमई(पीपीडीसी)आगरा पन्नीरसेलवम ने विद्यार्थियों को इंजीनियर्स डे की बधाई देते हुए देश की प्रगति में हाथ बंटाने का संदेश दिया।
संस्कृति विवि के कुलपति डा. तन्मय गोस्वामी ने विद्यार्थियों से आह्वान करते हुए कहा कि भारत की प्राचीन सोच के साथ आप ऐसी इंजीनियरिंग करें जो प्रकृति से जुड़ी हो। आपका विज़न ऐसा होना चाहिए कि आपके अविष्कार प्रकृति के अनुरूप हों उसको क्षति पहुंचाने वाले न हों। मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ प्रारंभ हुए इस समारोह में डा. तन्मय गोस्वामी ने दुनियाभर के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि भारत में आदिकाल के दौरान जितने भी अविष्कार हुए वे प्रकृति के अनुकूल हुए।
उन्होंने कहा कई बार जब विदेशों में मुझसे पूछा गया कि आप लोग कहते हैं की हमारे यहां पुष्पक विमान तो हजारों साल पहले बना लिया था, वो कहां है, तो मैं उन्हें जवाब देता हूं कि यह सही है कि हमारे पास पुष्पक विमान नहीं है और इसलिए आप कुछ भी कह सकते हैं लेकिन यह तो मानेंगे कि हजारों साल पहले भारत में आकाश में उड़कर दूर जाने की सोच विद्यमान थी। उन्होंने कहा कि एक सोच ही किसी निर्माण को जन्म देती है। संस्कृति विवि के इंजीनिरिंग के विद्यार्थी अपने अंदर ऐसी सोच पैदा करें जो मानवता और प्रकृति के अनुकूल हो।
समारोह के दौरान संस्कृति स्कूल आफ एग्रीकल्चर के डीन डा. रजनीश त्यागी ने विद्यार्थियों का ध्यान एक नई बहस की ओर खींचा। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों के समय बने पुल और इमारतें आज भी जीवित हैं और काम आ रहे हैं, ऐसा क्यों होता है कि हाल ही में हुए निर्माण ध्वस्त हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि आपकी ईमानदारी आपके कामों का गुणगान करती है। आप देश के ऐसे ईंजीनियर छाटें जिन्होंने अपने काम को ईमानदारी के साथ किया हो और कोशिश करें कि आपका नाम भी कभी उनकी सूची दर्ज हो। उन्होंने कहा कि आज का विद्यार्थी बहुत बुद्धिमान है आज शिक्षक को विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए स्वयं को योग्य बनने के प्रयास करने पड़ते हैं।
समारोह के दौरान वक्ताओं ने बताया कि हर साल देश में 15 सितंबर का दिन इंजीनियर्स डे के तौर पर मनाया जाता है। यह दिन देश के महान इंजीनियर और भारत रत्न से सम्मानित मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को समर्पित है। एम विश्वेश्वरैया ने राष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ा योगदान दिया था आधुनिक भारत के बांधो, जलाशयों और जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। सरकार ने साल 1955 में इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया था। यह दिन देश के उन सभी इंजीनियरों की मेहनत और लगन को सलाम करने का दिन है जो देश के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं।
इस मौके पर स्कूल आफ इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया। समारोह का कुशल संचालन इंजीनियरिंग की छात्राओं निधि गोस्वामी, अंशिका चाहर ने किया। अंत में स्कूल आफ इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष विंसेंट बालू ने धन्यवाद ज्ञापित किया।