- -गरीब की वास्तविक आय दर्शाने में लगा दिए महीनों
- -गोवर्धन तहसील के हालात से महीनों से खफा हैैं अधिवक्ता
गोविन्द भारद्वाज/ कमल सिंह यदुवंशी
मथुरा। गोवर्धन तहसील के प्रशासन का एक ही वर्ष के अंतराल में अलग-अलग आय के तीन प्रमाण पत्र बनाने का अजीब कारनामा सामने आया है। यह कारनामा जानबूझकर किया हो या अनजाने में, लेकिन कारनामा तो किया ही है। इस मामले की सुनकर अधिवक्ता से लेकर अन्य आवेदक भी चौंक रहे हैं कि क्या ऐसा भी तहसील प्रशासन स्तर से हो सकता है।
प्रषासन के इस लचीले रवैये को लेकर महीनों से अधिवक्ताओं ने गोवर्धन तहसील में कार्य बहिष्कार भी किया हुआ है।
मामला गांव अड़ींग का है। यहां के निवासी विजय पुत्र प्रताप ने 28 जून को 145221007241 रजिस्ट्रेशन से 60000 वार्षिक आय प्रमाण पत्र बनवाया। इसके बाद उन्होंने आवेदन किया तो 4 अगस्त 2022 को उनकी आय 80000 कर दी गई। इसके बाद 3 सितंबर 2022 को रजिस्ट्रेशन नंबर 145221009503 के माध्यम से जारी हुए उनके आय प्रमाण पत्र में आय 46000 वार्षिक कर दी गई। गरीब आवेदक के वास्तविक आय का प्रमाण पत्र सबसे आखिर में बनाया गया। इससे ऐसा लगता है कि बिना देखे, जांचे परखे लेखपाल अपनी रिपोर्ट प्रेशित कर रहे हैं। अमीर को गरीब दर्शाकर और गरीब को अमीर बनाने का ये लेखपालों का फंडा लोगों के गले नहीं उतर रहा है।
तहसील में भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि छोटे-छोटे कामों की मोटी रिश्वत मांगी जाती है। हालात यह है कि किसान क्रेडिट कार्ड के लिए बनने वाले खसरा खतौनी में भी बैंक का लोन दिखाने और ना दिखाने का खेल लंबे समय से चल रहा है। अड़ींग के ऐसे कई मामले चर्चा में है जिनमें एक ही जमीन पर कई कई बैंकों से लोन हो रखे हैं। इस खेल में तहसील का स्टाफ पूरी तरह से शामिल है।
ऐसे ही काफी मामले बछगांव के बताए जाते हैं। तहसील में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते हैं अधिवक्ताओं ने भी माहीनों से कार्य बहिष्कार किया हुआ है। कई खतौनियां ऐसी है जिनमें अभी भी दो दो केसीसी चढ़े हैं। इस खेल में लोन कराने वाला एवं लोन के नाम पर मोटी रकम एंठने वाला ग्रुप सालों से सक्रिय बताया गया है।